मेरी पुत्री के शल्यचिकित्सा पश्चात् मैं पुनर्लाभ कमरे में उसके बिस्तर के निकट बैठी थी l ऑंखें खुलने पर उसने महसूस किया वह व्याकुल है और वह रोने लगी l मैंने उसके हाथों को सहलाकर उसे पुनःआश्वस्त किया, किन्तु वह और बेचैन हो गयी l नर्स की सहायता से मैंने उसे अपने गोद में ले लिया l मैंने उसके आंसू पोछे और उसे याद दिलाई वह अंततः ठीक हो जाएगी l
यशायाह द्वारा, परमेश्वर ने इस्राएलियों से कहा, “जिस प्रकार माता अपने पुत्र को शांति देती है, वैसे ही मैं भी तुम्हें शांति दूंगा”(यशा.66:13) l परमेश्वर अपने बच्चों को शांति देने और माता की तरह उन्हें अपनी कमर पर उठाने का वादा किया l यह संदेश ऐसे लोगों के लिए था जो परमेश्वर का आदर करते थे-जो “वचन सुनकर थरथराते” हैं”(पद.5) l
परमेश्वर का अपने लोगों को आराम देने की सामर्थ्य एवं इच्छा पौलुस की कुरिन्थियों के विश्वासियों को लिखी पत्री में पुनः दिखाई देती है l पौलुस ने कहा प्रभु ही वह है जो “हमारे सब क्लेशों में शांति देता है”(2 कुरिं. 1:3-4) l हमारी परेशानियों में परमेश्वर नम्र और सहानुभूतिपूर्ण है l
अंततः समस्त दुख मिटेगा l हमारे आंसू स्थाई रूप से सूखेंगे, और हम परमेश्वर की बाँहों में सर्वदा सुरक्षित होंगे(प्रका. 21:4) l उस समय तक, दुःख में हम परमेश्वर के प्रेम पर निर्भर हो सकते हैं l