मेरा एक मछली पकड़नेवाले मित्र ने महसूस किया, पुरानी कहावत “छिछली नदी अधिक आवाज़ करती है” के विपरीत “निश्छल जल गहरा होता है l” अर्थात अधिक शोर करनेवाले लोगों के पास कहने को थोड़ा होता है l
इस समस्या का दूसरा पहलु हैं, हम ठीक से नहीं सुनते हैं l ध्यान दिए बिना सुनने के विषय साइमन और गरफंकेल का पुराना गीत ख़ामोशी की आवाज़ मुझे ताकीद देता है l वे शब्द सुनते हैं, किन्तु ध्यान दिए बिना l शांत एवं खामोश रहकर सुनना अच्छा है l
“चुप रहने का समय, और बोलने का भी समय है” (सभो.3:7) l अच्छी ख़ामोशी ध्यान से सुननेवाली ख़ामोशी है l नीतिवचन कहता है, “मनुष्य के मन की युक्ति अथाह तो है, तौभी समझवाला मनुष्य उसको निकाल लेता है”
(नीति.20:5) l तह तक पहुँचने के लिए ध्यानपूर्वक सुनना अनिवार्य है l ‘
दूसरों की सुनते समय हमें परमेश्वर को सुनना ज़रूरी है l मैं यीशु को भूमि पर लिखते देख रहा हूँ जब फरीसी व्यभिचारिणी को झिड़क रहे थे(देखें युह.8:1-11) l वह क्या कर रहा था? मेरी सलाह है कि वह पिता की सुन रहा था और पूछ रहा था, “इस भीड़ और इस प्रिय स्त्री के साथ क्या किया जाए?” उसका प्रतुत्तर आज भी संसार में सुनाई दे रहा है l