एक व्यावसायिक दौरे पर, मेरे पति होटल पहुंचे ही थे जब उन्हें एक विचित्र आवाज़ सुनायी दी l वह पता करने हॉल में दाखिल हुए और एक निकट के कमरे से किसी को चिल्लाते सुना l एक होटल कार्यकर्ता की सहायता से, उसने जाना की एक व्यक्ति बाथरूम में फंस गया है l बाथरूम का ताला बिगड़ जाने के कारण वह आदमी अन्दर फंस कर धबरा गया l उसे साँस लेने में दिक्कत महसूस होने लगी और वह मदद हेतु चिल्लाने लगा l
कभी-कभी हम जीवन में भी फंसा हुआ महसूस करते हैं l हम दरवाज़ा पीटते हैं, हैंडल खींचते हैं, किन्तु निकल नहीं पाते l हमें होटल में उस आदमी की तरह बाहर से मदद की ज़रूरत चाहिए l
वह बाह्य सहायता प्राप्त करने हेतु, हमें अपनी असमर्थता जतानी होगी l कभी-कभी हम अपनी परेशानियों के हल के लिए अन्दर उत्तर ढूढ़ते हैं, जबकि बाइबिल कहती है “मन …… धोखा देनेवाला ….. है”(यिर.17:9) l वास्तव में, अक्सर हम ही अपनी समस्याओं का कारण हैं l
धन्यवाद हो, “परमेश्वर हमारे मन से बड़ा है, और सब कुछ जानता है”(1 यूह.3:20) l इस कारण, वह हमारी उचित सहायता कर सकता है l स्थायी मन परिवर्तन और समस्याओं में वास्तविक सहायता परमेश्वर से आती है l उस पर भरोसा और उसकी प्रशंसा करने से हम उन्नति करेंगे और वास्तव में मुक्त रहेंगे l