केन्या एयरवेज चेक-इन पटल पर, मैंने सत्यापन हेतु अपना पासपोर्ट प्रस्तुत किया l मेरा नाम सूची में नहीं था l समस्या? ज़रूरत से अधिक आरक्षण और पुष्टिकरण का अभाव l उस दिन मेरी घर पहुँचने की आशा टूट गई l

इस प्रसंग ने मुझे एक और सूची – जीवन की पुस्तक – स्मरण करायी l लूका 10 में, यीशु ने अपने शिष्यों को सुसमाचारीए सेवा में भेजा l लौटकर, उन्होंने अपनी सफलता बतायी l किन्तु यीशु ने उनसे कहा, “इससे आनंदित मत हो कि आत्मा तुम्हारे वश में है, परन्तु इस से आनंदित हो कि तुम्हारे नाम स्वर्ग पर लिखे हैं”(पद.20) l हमारा आनंद
हमारे नामों का परमेश्वर की पुस्तक में अंकित होना है l

किन्तु हम इसके विषय निश्चित कैसे हों? परमेश्वर का वचन कहता है, “यदि तू अपने मुहं से यीशु को प्रभु जानकार अंगीकार के, और अपने मन से विश्वास करे कि परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, तो तू निश्चय उद्धार पाएगा”(रोमि. 10:9) l

प्रकाशितवाक्य 21 में, यूहन्ना पवित्र नगर का असाधारण वर्णन करता है l वह लिखता है, “उसमें कोई अपवित्र वस्तु, या घृणित काम करनेवाला, या झूट का गढ़नेवाला किसी रीति से प्रवेश न करेगा, पर केवल वे लोग जिनके नाम मेमने के जीवन की पुस्तक में लिखे हैं”(पद.27) l

जीवन की पुस्तक परमेश्वर का स्वर्गिक सूची है l क्या आपका नाम उसमें लिखा है?