सामयिक घटनाओं से अवगत् रहने का अपना नकारात्मक पहलु है क्योंकि बुरी ख़बरें अच्छी ख़बरों से बेहतर फैलती है l व्यक्तियों, भीड़, अथवा शासन के आपराधिक कृत्यों के विषय अधिक चिंतित होना सरल है, जो हमारे नियंत्रण के बाहर हैं l
भजन 37 दैनिक समाचार हेतु परिप्रेक्ष्य देता है l दाऊद इस तरह आरम्भ करता है, “कुकर्मियों के कारण मत कुढ़”(पद.1) l तत्पश्चात् हमें अत्यधिक चिंतित होने के प्रति कुछ विकल्प देता है l सारांश में, दाऊद हमारे संसार की नाकारात्मक ख़बरों के विषय बेहतर सोचने की सलाह देता है l
क्या होता यदि, हमारे नियंत्रण से बाहर घटनाओं के विषय चिंतित होने की बजाए, हम प्रभु में भरोसा करने का चुनाव करते? (पद.3) l अत्यधिक कुढ़ने की अपेक्षा, “यहोवा को अपना सुख का मूल”(पद.4) जानना क्या हमारे लिए बेहतर नहीं होता? चिंता से स्वतंत्रता की कल्पना करें जो हमारी होती यदि हम “अपने मार्ग की चिंता यहोवा पर छोड़” (पद.5) देते l और “यहोवा के सामने चुपचाप [रहकर], और धीरज से उसकी प्रतीक्षा [करना]” (पद.7) सीखते हुए हमें कितनी शांति मिलती!
हमारे नियंत्रण से बाहर ख़बरें हमारी चिंताओं के लिए सीमा निर्धारित करने का अवसर देती है l परमेश्वर पर भरोसा करके, हम अपने मार्ग उसे सौंपकर उसमें विश्राम करें l हमारा दृष्टिकोण ज्योतिर्मय हो जाएगा l संघर्ष और आजमाइशों के मध्य हम जानेंगे कि वह हमें अपनी शांति देगा l