2014 के विश्व कप में जर्मनी के विरुद्ध घाना के असमोह ज्ञान द्वारा गोल करने के बाद, वह और उसके टीम सदस्यों ने समन्वित नृत्य किया l कुछ मिनट बाद जब जर्मनी के मिरोस्ल्व क्लोस ने गोल वापस किया, वह उछलकर नांचा l 2002 विश्व कप में अमरीका के लिए गोल करने वाले क्लिंट माथिस, कहते हैं, “फूटबाल उत्सव अत्यधिक चिताकर्षक होता है क्योंकि वह प्लेयर के व्यक्तित्व, उपयोगिता, और जोश को प्रगट करता है l“
भजन 150 में, भजनकार सब को विभिन्न तरीकों से प्रभु का उत्सव मनाने और उसकी प्रशंसा करने बुलाता है l उसकी सलाह है कि हम नरसिंगा, सारंगी, डफ, तारवाले बाजे, बाँसुली, झांझ बजायें और नृत्य करें l हम रचनात्मकता और जोश से प्रभु को आदर देकर उसकी उपासना करें l इसलिए कि परमेश्वर महान है और अपने लोगों के लिए महान कार्य किये हैं, वह समस्त प्रशंसा के योग्य है l प्रशंसा के ये बाह्य तरीके परमेश्वर के प्रति कृतज्ञता से उमड़ते आन्तरिक श्रोत से बहते हैं l भजन कहता है, “जितने प्राणी हैं सब के सब याह की स्तुति करें!” (भजन 150:6) l
यद्यपि हम प्रभु का उत्सव अनेक तरीकों से मानते हैं, हमारी स्तुति हमेशा सूचक एवं अर्थपूर्ण हो l जब हम अपने लिए प्रभु के चरित्र एवं उसके महान कार्य विचारते हैं, हम प्रशंसा और उपासना द्वारा उसको सराहने हेतु विवश होते हैं l