पिछले रिट्रीट में, मैं कुछ सहेलियों से काफी अरसे के बाद मिली l मिलन के आनंद में खूब हँसी थी, किन्तु आँसू भी क्योंकि मैंने उनका अभाव महसूस किया l
सहभागिता के अंतिम दिन, हमने प्रभु भोज में भाग लिया l और अधिक मुस्कराहट और आँसू! मैं परमेश्वर के अनुग्रह के लिए आनंदित हुयी, जिसने मुझे अनंत जीवन और अपनी सहेलियों के संग खूबसूरत दिन दिए l किन्तु पाप से मुझे छुड़ाने के लिए यीशु द्वारा चुकाई गई कीमत पर गंभीर हो गयी l
मैंने एज्रा और यरूशलेम का वह अद्भुत दिन याद किया l निर्वासित लोग निर्वासन से लौटकर प्रभु के मंदिर की नीव् को पुनः निर्मित किए थे l लोग आनंद से गाए, किन्तु कुछ वरिष्ठ याजकों ने आँसू भी बहाए (एज्रा 3:10-12) l शायद वे सुलेमान का मंदिर और उसकी पुरानी भव्यता याद कर रहे थे l या निर्वसन में जाने का प्रथम कारण अपने पापों पर रो रहे थे l
कभी-कभी हम परमेश्वर के कार्य को देखकर अनेक भावनाएँ अनुभव करते हैं, जिसमें आनंद शामिल है, जब हम हमारे पापों को और उसके बलिदान को याद करते हुए परमेश्वर के आश्चर्यकर्म और दुःख याद करते हैं l
इस्राएली गा रहे थे और रो रहे थे, आवाज़ दूर तक सुनायी दे रही थी (पद.13) l हमारी भावनाएँ हमारे प्रेम और प्रभु की उपासना का प्रगटीकरण हो, और वे दूसरों को स्पर्श करें l