सेना के कारवाँ के आगे बढ़ते ही एक युवा सैनिक ने अपने सार्जेंट की गाड़ी की खिड़की का शीशा थपथपाया l सार्जेंट खिसियाकर बोला, “क्या बात है?”

“आपको एक काम करना है,” सैनिक बोला l सार्जेंट के पूछने पर सैनिक ने कहा,  “आप जानते हैं l”

सार्जेंट ने कारवाँ के लिए प्रार्थना करना याद किया जो वह अभी भूल गया था l वह कर्तव्यपूर्ण अपनी गाड़ी से उतरकर अपने सैनिकों के लिए प्रार्थना की l सैनिक ने अपने प्रार्थना करनेवाले अगुए का महत्व समझ लिया था l

प्राचीन यहूदा में, अबिय्याह एक महान राजा नहीं दिखाई देता है l 1 राजा 15:3 अनुसार, “उसका मन अपने परमेश्वर यहोवा की ओर … लगा न रहा l” किन्तु जब यहूदा ने इस्राएल से यूद्ध के तैयारी की, जो उनसे दोगुने थे, अबिय्याह केवल एक बात जाना : उसके राज्य, यहूदा के भरोसेमंद लोग यहोवा ही की उपासना करते रहे (2 इतिहास 13:10-12), जबकि इस्राएल के दस गोत्रों ने परमेश्वर के याजकों को हटाकर अन्य देवताओं की उपासना करने लगे थे (पद. 8-9) l इसलिए अबिय्याह भरोसे से एकमात्र सच्चे परमेश्वर की ओर फिरा l

वास्तव में अबिय्याह के विचित्र इतिहास ने अति हानि की थी l किन्तु वह संकट में  सही दिशा में लौटकर युद्ध जीत ली [क्योंकि] “उन्होंने अपने पितरों के परमेश्वर यहोवा पर भरोसा रखा था l” हमारा परमेश्वर उस पर भरोसा करनेवाले का स्वागत करता है l