मेरे सामने तरणताल में सूर्य का प्रकाश झिलमिलाता दिखा l मैंने प्रशिक्षक को एक विद्यार्थी से बातें करते सुनी जो काफी समय से जल में था l उसने कहा, “ऐसा लगता है कि तुम थक गए हो l जब तुम गहरे जल में रहकर थक जाओ, जीवन-रक्षा शैली अपनाने का प्रयास करो l

जीवन की ख़ास स्थितियाँ हमसे हमारी मानसिक, शारीरिक, अथवा भावनात्मक ऊर्जा इस तरह खर्च करने को मजबूर करती हैं कि हमारा संभालना कठिन हो जाता है l  दाऊद ऐसे समय का वर्णन करता है जब उसके शत्रु उसको धमका रहे थे और वह उनके क्रोध का भावनात्मक दबाव महसूस कर रहा था l उसे उस कठिनाई से निकलना था जिसे वह अनुभव कर रहा था l

अपनी भावनाओं पर विचारते हुए, उसने अपने परेशान विचारों में विश्राम करने का मार्ग निकाल लिया l उसने कहा, “अपना बोझ यहोवा पर डाल दे वह तुझे सम्भालेगा” (भजन 55:22) l उसने जाना कि अपनी समस्याएँ परमेश्वर को देने से वह सहायता करता है l हमें प्रत्येक स्थिति को हक़ में लेकर हल निकालने का प्रयास करने की ज़रूरत नहीं-यह थकानेवाला है! परमेश्वर हमारे जीवन के हर पहलु पर नियंत्रण रखता है l

अपने प्रयास से सब करने की अपेक्षा, हम परमेश्वर में विश्राम पा सकते हैं l कभी-कभी उससे हमारी समस्या को संभालने को कहने जैसा सरल है l तब हम रुककर, सुस्ताकर, जानेंगे वह संभालता है l