अंत्येष्टि गृह में ताबूत में अपने ससुर का शव देखते समय, उनके बेटे ने पिता की हथौड़ी उनके हाथों के नीचे रख दी l वर्षों बाद, मेरी सास की मृत्यु पर एक बच्चे ने बुनने की सलाई उनकी उंगलियों के नीचे रख दीं l ये खूबसूरत हाव-भाव हमें याद दिलाकर सुख दिए कि उन्होंने अपने जीवनों में इन साधनों का उपयोग किया था l
निसन्देह, हम जानते हैं कि अनंत में उनको इन वस्तुओं की ज़रूरत नहीं होगी l हम धोखे में नहीं थे, जैसे मिस्री किसी के साथ औज़ार अथवा धन अथवा हथियार दफ़न करके अगले जीवन की बेहतर तैयारी करते थे l आप अपने साथ नहीं ले जा सकते! (भजन 49:16-17; 1 तिमू.6:7) l
किन्तु मेरे सास-ससुर के लिए अनंतता हेतु कुछ तैयारियाँ अनिवार्य थीं l उन्होंने वर्षों पूर्व यीशु को अपना उद्धारकर्ता ग्रहण करके ये तैयारियाँ कीं l
आनेवाले जीवन की तैयारी मृत्यु के समय नहीं हो सकती l प्रत्येक को अपने हृदय को क्रूस पर यीशु के बलिदान द्वारा संभव उद्धार के उपहार को स्वीकार करके करना होगा l
साथ ही, परमेश्वर ने भी तैयारियाँ की है : “यदि मैं जाकर तुम्हारे लिए जगह तैयार करूँ, तो फिर आकर तुम्हें अपने यहाँ ले जाऊँगा कि जहां मैं रहूँ वहाँ तुम भी रहो” (यूहन्ना 14:3) l उसने हमारे लिए उसके साथ अनंतता बिताने के लिए एक स्थान तैयार करने का वादा किया है l