1880 के दशक में फ़्रांसिसी कलाकार जोर्जस सेयुरत ने बिंदु चित्रण (pointillism) कला प्रस्तुत किया l नामानुकूल, सेयुरत मिश्रित रंगों को कूचियों से प्रयोग न करके, छोटे रंगीन बिन्दुओं से कलात्मक चित्र बनाया l निकट से, उसका कार्य अलग-अलग बिन्दुओं के समूह दिखते हैं l फिर भी, दूर से देखने पर, मानव आँखें बिन्दुओं को मिलाकर एक दीप्त रंगीन आकृति या दृश्य बनाती है l
बाइबिल की बड़ी तस्वीर सदृश है l निकट से, उसकी जटिलता हमें चित्रपट पर बिंदुओं सी लगेगी l पढ़ते समय, हम इम्माऊस के मार्ग पर क्लियोपास और उसके मित्र सा अनुभव करेंगे l वे फसह सप्ताहांत बाद की घटनाओं की त्रासदी “बिंदु समान” नहीं समझ पाए थे l उनकी आशा थी कि यीशु ही “इस्राएल को छुटकारा देगा” (लूका 24:21), किन्तु उन्होंने अभी-अभी उसकी मृत्यु देखी थी l
अचानक एक अज्ञात व्यक्ति उनके साथ आकर उनकी बातों में रूचि दिखाने के बाद, उनके दीर्घ-प्रतीक्षित उद्धारकर्ता की पीड़ा और मृत्यु की बिन्दुओं को जोड़ने में उनकी मदद की l यीशु ने उनके साथ भोजन करते समय, उन्हें खुद को पहचानने दिया-और आश्चर्जनक रूप से जैसे आया था चला गया l
क्या उसके हाथों में किलों के घाव के दाग़दार बिंदुओं ने उनको आकर्षित किया? नहीं मालूम l किन्तु हाँ, जब हम वचन और यीशु के दुःख (पद. 27,44) के बिन्दुओं को मिलाते हैं, हम हमारी कल्पना से अधिक हमसे प्रेम करनेवाला परमेश्वर पाते हैं l