हममें से अधिक लोग अच्छे शासन की आशा से मत देते, सेवा करते, और उचित और न्याय-संगत कारणों से आवाज़ उठाते हैं l किन्तु अधिकतर राजनैतिक हल हमारे हृदयों की स्थिति परिवर्तन में असमर्थ हैं l

यीशु के अनेक अनुयायियों को एक छुड़ानेवाला चाहिए था जो रोम के निरंकुश शोषण का जोरदार राजनैतिक प्रतिउत्तर दे सके l पतरस ने इस प्रक्रिया में, रोमी सैनिकों द्वारा मसीह की गिरफ़्तारी के समय, तलवार से याजक के सेवक का कान उड़ा दिया l

यीशु ने एक-व्यक्ति जंग को यह कहकर रोका, “अपनी तलवार म्यान में रख l जो कटोरा पिता ने मुझे दिया है, क्या मैं उसे न पीऊँ?” (यूहन्ना 18:11) l  घंटो बाद, यीशु पिलातुस से बोल सकता था, “मेरा राज्य इस संसार का नहीं; यदि … होता, तो मेरे सेवक लड़ते कि मैं यहूदियों के हाथ सौपा न जाता” (पद.36) l

प्रभु के जीवन के न्याय के समय, उसके उद्देश्य के विस्तार पर विचार करते उसका संयम हमें चकित करता है l एक दिन, वह युद्ध में स्वर्गिक सेना की अगुवाई करेगा l यूहन्ना ने लिखा, “वह धर्म के साथ न्याय और युद्ध करता है” (प्रका. 19:11) l

किन्तु अपनी गिरफ़्तारी, जांच, और क्रूसीकरण के आज़माइश में, यीशु अपने पिता की इच्छा पर केन्द्रित था l क्रूस पर मृत्यु द्वारा, उसने घटनाओं की एक कड़ी प्रतिपादित की जो हृदय बदलता है l और उस प्रक्रिया में, हमारा शक्तिशाली विजेता मृत्यु को पराजित किया l