मेरी पत्नी ने कमरे में आकर मुझे बड़ी घड़ी की आलमारी में झांकते देखा l “आप क्या कर रहे हैं?” उसने पुछा l इस घड़ी की महक मेरे माता-पिता के घर जैसी है,” मैंने दरवाज़ा बंद करते हुए सुस्ती से जवाब  दिया l “मेरा अनुमान है आप सोचते होंगे मुझे घर की याद आ रही थी l”

गंध प्रबल यादें जगाता है l हम उस घड़ी को 20 वर्ष पहले अपने माता-पिता के घर से लाए थे, किन्तु उसके अन्दर की लकड़ी की खुशबू आज भी मुझे मेरे बचपन की याद दिलाती है l

इब्रानियों का लेखक दूसरों के विषय बताता है जो और ही तरीके से घर की चाह रखते थे l अतीत में झाँकने की जगह, वे विश्वास से स्वर्गिक घर की ओर देख रहे थे l यद्यपि उनकी आशा बहुत दूर थी, उनका भरोसा था कि परमेश्वर अपनी प्रतिज्ञा को पूरी करते हुए उनको ऐसे स्थान में ले जाएगा जहाँ वे उसके साथ सर्वदा रहेंगे (इब्रा. 11:13-16) l

फिलिप्पियों हमें याद दिलाता है कि “हमारा स्वदेश स्वर्ग पर है,” और हमें “एक उद्धारकर्ता  प्रभु यीशु मसीह के वहाँ से आने की बाट [जोहना है] l” यीशु को देखने की और परमेश्वर की प्रतिज्ञानुसार उससे सब कुछ प्राप्त करने की चाह हमें केन्द्रित रखे l हमारे लिए भविष्य में रखी बातों से अतीत या वर्तमान की तुलना नहीं हो सकती!