अंधकारमय सुबह, आसमान में स्टील के रंग के बादल, वातावरण अँधेरा होने के कारण मुझे पुस्तक पढ़ने के लिए बत्ती जलानी पड़ी l मेरे कमरे में आराम करने आया ही था जब कमरा प्रकाशित हो गया l मैंने देखा कि हवा बादलों को पूरब की ओर उड़ा ले जा रही थी, आकाश साफ़ हो रहा था और सूरज दिखाई देने लगा था l

जब मैं यह दृश्य देखने खिड़की तक गया, एक विचार आया : “अन्धकार मिटता जाता है और सत्य की ज्योति अब चमकने लगी है” (1 यूहन्ना 2:8) l प्रेरित यूहन्ना ने विश्वासियों को प्रोत्साहित करने हेतु ये शब्द लिखे l वह आगे कहता है, “जो कोई अपने भाई से प्रेम रखता है वह ज्योति में रहता है, और ठोकर नहीं खा सकता” (पद.10) l तुलनात्मक रूप से, उसने घृणा करने वालों की तुलना अँधेरे में चलनेवालों से किया l घृणा दिशा भ्रमित करता है; वह हमारी नैतिक दिशा बोध छीन लेता है l

लोगों से प्रेम करना सरल नहीं है l किन्तु खिड़की से देखते हुए मैंने निराशा, क्षमा, और विश्वासयोग्यता को परमेश्वर के प्रेम और ज्योति में बने रहने का परिणाम महसूस किया l घृणा के बदले प्रेम का चुनाव करके, हम उसके साथ अपने सम्बन्ध दर्शाते हैं और अपने चारों ओर के संसार तक उसका प्रकाश चमकाते हैं l “परमेश्वर ज्योति है और उसमें कुछ भी अन्धकार नहीं” (1 यूहन्ना 1:5) l