जब जेनेट विदेश में एक स्कूल में अंग्रेजी पढ़ाने गयी, वातावरण मनहूस और निराशाजनक था l  लोग अपने कार्य करते थे, लेकिन कोई खुश नहीं लगते थे l वे परस्पर मदद या उत्साहित नहीं करते थे l किन्तु, परमेश्वर के समस्त प्रावधानों के लिए कृतज्ञ, जेनेट, अपने कार्यों में दर्शाती थी l वह मुस्कराती और मित्रवत थी l वह आगे बढ़कर लोगों की मदद करती थी l वह गाने और गीत गुनगुनाती थी l

धीरे-धीरे, जेनेट द्वारा अपना आनंद बांटते समय, स्कूल का वातावरण बदल गया l एक-एक करके लोग मुस्कराने और परस्पर मदद करने लगे l जब एक अतिथि प्रशासनिक अधिकारी प्राचार्य से पूछा क्यों उसका स्कूल भिन्न है, प्राचार्य जो विश्वासी नहीं था, जवाब दिया, “यीशु आनंद लता है l” जेनेट प्रभु के उमंडनेवाले आनंद से पूर्ण थी और यह उसके चारों ओर के लोगों तक छलक रहा था l

लूका का सुसमाचार हमें बताता है कि परमेश्वर ने स्वर्गदूत को साधारण चरवाहों तक असाधारण जन्म की घोषणा करने हेतु भेजा l स्वर्गदूत ने चकित करनेवाली घोषणा की कि नवजात शिशु “सबके लिए आनंद लेकर आएगा” (लूका 2:10), जो उसने किया l

उस समय से यह सन्देश सदियों से हम तक पहुँच रहा है, और अब हम आनंद फैलानेवाले मसीह के संदेशवाहक हैं l अंतर्निवास करनेवाले पवित्र आत्मा द्वारा, हम यीशु के  आदर्श पर चलकर और दूसरों की सेवा करके उसका आनंद फैलाते हैं l