मेरे युवा पुत्र को मेरी आवाज़ पसंद है, सिवाय इसके कि जब मैं उसका नाम ज़ोर से और कठोरता से इस प्रश्न के साथ पुकारती हूँ, “तुम कहाँ हो?” ऐसा मैं तब करती हूँ, जब वह कुछ नटखटी करके मुझसे छिप रहा होता है l मैं चाहती हूँ कि मेरा बेटा मेरी आवाज़ सुने क्योंकि मैं उसकी भलाई और सुरक्षा चाहती हूँ
आदम और हव्वा परमेश्वर की आवाज़ से परिचित थे l l हालांकि, वर्जित फल को खाकर अनाज्ञाकारिता के बाद, वे उसकी आवाज़ सुनकर, “तुम कहाँ हो?” छिप गए (उत्पत्ति 3:9) l वे गलती करने के कारण परमेश्वर का सामना नहीं कर पा रहे थे-कुछ जिसे उसने माना किया था (पद.11) l
जब परमेश्वर ने आदम और हव्वा को पुकारकर उन्हें बगीचे में पाया, उसके शब्दों में अवश्य ही सुधार और परिणाम था (पद.13-19) l किन्तु परमेश्वर ने उन पर दया दिखाई और उद्धारकर्ता की प्रतिज्ञा में मानवता के लिए आशा भी दी(पद.15) l
परमेश्वर हमें खोजे, यह ज़रूरत नहीं है l उसे ज्ञात है हम कहाँ हैं और हम क्या छिपाने की कोशिश कर रहे हैं l किन्तु एक प्रेमी पिता होने के कारण, वह हमारे हृदयों से बातें करना चाहता है और हमें क्षमा और आरोग्यता देना चाहता है l उसकी इच्छा है हम उसकी आवाज़ सुने-और ध्यान दें l
परमेश्वर के पुकारने पर हमें उत्तर देना है l