अगस्त 2010 में, संसार की निगाहें कोपिआपो, चिली के एक खनन दस्ते की ओर थी l 33 खनिक 2,300 फीट धरती के नीचे अँधेरे में फंसे थे l उन्हें सहायता की आशा न थी l 17 दिनों के इंतज़ार के बाद बचाव दल ने, खनिकों तक जल, भोजन और दवाईयाँ पहुँचाने के लिए चार सुराख़ बनाए l खनिक ऊपर धरती से इन वाहिकाओं पर अर्थात् बचाव दल के प्रावधान पर निर्भर थे l उनहत्तरवें दिन, बचाव दल ने अंतिम खनिक को सुरक्षित बाहर निकाला l
हममें से हर कोई इस संसार में खुद की सामर्थ के बाहर के प्रावधान पर निर्भर है l संसार का रचनाकार, परमेश्वर हमारी समस्त ज़रूरतें पूरी करता है l उन खनिकों के लिए उन सुराखों की तरह, प्रार्थना समस्त ज़रूरतों की पूर्तिकर्ता से हमें जोड़ता है l
यीशु ने हमें प्रार्थना करने को उत्साहित किया, “हमारी दिन भर की रोटी आज हमें दे” (मत्ती 6:11) l उनके दिनों में रोटी जीवन का बुनियादी भोजन था अर्थात् लोगों की दैनिक ज़रूरत का चिंत्रण l यीशु हमें केवल भौतिक आवश्यकताओं के लिए नहीं किन्तु समस्त ज़रूरतों के लिए प्रार्थना करने को कहता है-सुख,चंगाई,साहस,बुद्धिमत्ता l
हर क्षण उस तक प्रार्थना द्वारा हमारी पहुँच है, और वह हमारे मांगने से पूर्व हमारी ज़रूरत जानता है (पद.8) l आज आप किस से संघर्षरत हैं? “जितने यहोवा को पुकारते हैं …उन सभों के वह निकट रहता है” (भजन 145:18) ;
प्रार्थना विश्वास की आवाज़ है, इस भरोसा से कि परमेश्वर जानता और चिंता करता हैं l