फ़्रांसीसी कलाकार हेनरी मातिस्से के अनुसार उसके जीवन के अंतिम वर्षों के उसके कार्य उसका सही निरूपण थे l उन दिनों में उसने एक नयी शैली में रंग के स्थान पर कागज़ की सहायता से रंगीन, लम्बे तस्वीर बनाए l उसने इन तस्वीरों से अपने कमरे के दीवार सजाए l कैंसर से पीड़ित होने के कारण यह महत्वपूर्ण था क्योंकि वह ज्यादातर बिस्तर पर सीमित रहता था l
बीमारी, नौकरी खो देना, या कोई बड़ी मुसीबत कुछ उदहारण हैं जिसे कुछ लोग “घाटी में रहना,” कहते हैं, जहाँ खौफ की छाया रहती है l यहूदा के लोग आक्रामक सेना को आते देख ऐसा ही अनुभव किया (2 इतिहास 20:2-3) l उनके राजा ने प्रार्थना की, “यदि … विपत्ति हम पर पड़े, तौभी हम … तेरी दोहाई देंगे, और तू सुनकर बचाएगा” (पद.9) l परमेश्वर ने उत्तर दिया, “कल [अपने शत्रुओं का] सामना करने को चलना और यहोवा तुम्हारे साथ रहेगा” (पद.17) l
यहूदा की सेना के युद्धभूमि में आने से पूर्व, उनके शत्रु अपना नाश कर डाले l परमेश्वर के लोगों ने तीन दिनों तक परित्यक्त सामग्री, कपड़े और महत्वपूर्ण वस्तुएँ इकट्ठे किये l उस स्थान को छोड़ने से पूर्व वे मिलकर परमेश्वर की प्रशंसा की और उस स्थान का नाम “बराका की तराई,” अर्थात् “आशीष” रखा l
परमेश्वर हमारे जीवनों के निम्नतम बिंदु में भी साथ रहता है l वह इन घाटियों में आशीष देता है l
परमेश्वर बोझ को बरकत में बदलने में माहिर है l