व्यवस्था एवं संगठन विषय पर एक युवा जापानी स्त्री की पुस्तक की लाखों प्रतियां संसार में बिक गयीं l मारी कोंडो का मुख्य सन्देश घरों और आलमारियों में अनावश्यक वस्तुएँ- जो वस्तुएं उनके लिए बोझ हैं-को हटाने में लोगों को मदद करना है l वह कहती हैं, “हर एक को ऊपर उठाकर पूछिये, “क्या यह आनंद देता है?” यदि उत्तर हाँ है, रख लीजिये l यदि नहीं, तो हटा दीजिये l
प्रेरित पौलुस फिलिप्पी के मसीहियों को मसीह के साथ सम्बन्ध में आनंद खोजने को कहा l “प्रभु में सदा आनंदित रहो; मैं फिर कहता हूँ, आनंदित रहो” (फ़िलि. 4:4) l चिंता ग्रस्त जीवन के बदले, उसने उनको हर बात के लिए प्रार्थना करने को कहा और तब परमेश्वर की शांति उनके हृदय एवं विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखेगी (पद.6-7) l
हमारे दैनिक कार्यों एवं जिम्मेदारियों में, सब कुछ आनंदायक नहीं है l किन्तु हम पूछ सकते हैं, “यह किस तरह परमेश्वर और मेरे हृदय में आनंद उत्पन्न कर सकता है? काम करने के कारण में परिवर्तन उनके विषय हमारे अहसास को रूपांतरित कर सकता है l
इसलिए हे भाइयों, जो जो बातें सत्य हैं, … आदरणीय हैं, … उचित हैं, …पवित्र हैं, … सुहावनी हैं, … मनभावनी हैं, अर्थात् जो भी सद्गुण और प्रशंसा की बातें हैं उन पर ध्यान लगाया करो l (पद.8) l
पौलुस के अंतिम शब्द विचार के लिए भोजन और आनंद का नुसखा है l
प्रभु की ओर केन्द्रित होना आनंद का आरंभ है l