मेरी एक प्रिय सहेली ने मुझे एक सन्देश भेजा जिसमें लिखा था, “मैं बहुत आनंदित हूँ कि हम एक दूसरे को अच्छी, बुरी, और बदसूरत बातें बता सकते हैं!” हम वर्षों से मित्र रहे हैं, और हमने अपना आनंद और पराजय बांटना सीख लिया है l हम मानते हैं कि हम सम्पूर्ण नहीं हैं, इसलिए हम अपने संघर्ष बांटे हैं, किन्तु परस्पर सफलताओं में आनंदित होते हैं l
गोलियत पर दाऊद के विजय वाले अच्छे दिनों के आरम्भ से, दाऊद और योनातान भी घनिष्ठ मित्र थे (1 शमूएल 18:1-4) l उन्होंने योनातान के पिता के ईर्ष्या के बुरे दिनों में परस्पर भय बांटे (18:6-11; 20:1-2) l आख़िरकार, उन्होंने दाऊद की हत्या की शाऊल की योजना के बदसूरत दिनों में दुःख उठाया (20:42) l
अच्छे मित्र हमें बाहरी स्थितियों के बदलने पर त्यागते नहीं l वे अच्छे और बुरे दिनों में साथ रहते हैं l बदसूरत दिनों में परमेश्वर से दूर जाने की परीक्षा आने पर वह हमें परमेश्वर की ओर इशारा करते हैं l
सच्ची मित्रता परमेश्वर का उपहार है क्योंकि वह सिद्ध मित्र का उदाहरण है, जो अच्छे, बुरे, और बदसूरत दिनों में वफादार रहता है l जैसे प्रभु हमें याद दिलाता है, “मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी त्यागूँगा” (इब्रानियों 13:5) l
एक मित्र वह पहला व्यक्ति है जो हमारे निकट तब आता है
जब समस्त संसार हमसे दूर चला जाता है l