कभी-कभी रात में अपनी तकिया पर सिर रखकर प्रार्थना करते वक्त मैं कल्पना करता हूँ जैसे मैं यीशु पर टिका हुआ हूँ l ऐसा करते समय मैं परमेश्वर के वचन में वर्णित प्रेरित यूहन्ना को स्मरण करता हूँ l यूहन्ना खुद के विषय लिखता है कैसे अंतिम भोज में वह यीशु के निकट था l “उसके चेलों में से एक जिससे यीशु प्रेम रखता था, यीशु … की ओर झुका हुआ बैठा था” (यूहन्ना 13:23) l
यूहन्ना “[चेला] जिससे यीशु प्रेम रखता था” शब्दों का प्रयोग अपना नाम लिए बगैर अपने लिए करता है l वह प्रथम-शताब्दी इस्राएल का एक ख़ास भोज विन्यास दर्शाता है, जब मेज आज से नीचे, लगभग घुटने तक हुआ करता था l बिना कुर्सियों के मेज के चारों ओर चटाई अथवा गद्दियों पर बैठना स्वाभाविक था l यूहन्ना प्रभु के करीब बैठे हुए प्रश्न पूछते समय “यीशु की छाती की ओर झुका हुआ बैठा था” (यूहन्ना 13:23) l
उस समय यूहन्ना की यीशु से निकटता आज हमारे जीवनों के लिए एक उदाहरण है l हम यीशु को स्पर्श नहीं कर सकते किन्तु अपनी कठिनतम परिस्थितियाँ उसे सौंप सकते हैं l उसने कहा, “हे सब परिश्रम करनेवालो और बोझ से दबे हुए लोगो, मेरी पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा” (मत्ती 11:28) l हमारे हर परिस्थिति में हमारे साथ विश्वासयोग्य रहनेवाला उद्धारकर्ता पाकर हम धन्य हैं! क्या आज आप उस पर “टिके हुए” हैं?
केवल यीशु ही हमें हमारे ज़रूरत अनुसार विश्राम देता है l