हम उसे संदेही थोमा कहते हैं (देखें यूहन्ना 20:24-29), किन्तु यह नाम बिल्कुल ठीक नहीं है l आख़िरकार, हममें से कितने विश्वास किये होते कि हमारा मृतक अगुआ पुनरुथित हुआ है? हम उसे “साहसी थोमा” भी पुकार सकते हैं l आखिरकार, यीशु के अपनी मृत्यु की ओर उद्देश्यपूर्ण ढंग से बढ़ते समय, थोमा ने प्रभावशाली साहस दर्शाया l
लाजर की मृत्यु के बाद, यीशु ने कहा था, “आओ, हम फिर यहूदिया को चलें” (यूहन्ना 11:7), शिष्यों ने जिसका विरोध किया l “हे रबी,” उन्होंने कहा, “अभी तो यहूदी तुझ पर पथराव करना चाहते थे, और क्या तू फिर भी वहीं जाता है?” (पद.8) l थोमा ने ही बोला था, “आओ, हम भी उसके साथ मरने को चलें” (पद. 16) l
थोमा का विचार उसके कार्य से उत्तम था l यीशु की गिरफ़्तारी पश्चात, पतरस और यूहन्ना को छोड़कर जो मसीह के संग महायाजक के आंगन तक गए, थोमा बाकी के साथ भाग गया (मत्ती 26:56) l केवल यूहन्ना ही यीशु के संग क्रूस तक गया l
लाजर को जीवित देखकर भी (यूहन्ना 11:38-44), थोमा क्रूसित प्रभु की मृत्युंजय पर विश्वास नहीं किया l मानवीय-संदेही थोमा-पुनरुथित यीशु को देखने के बाद ही विश्वास करके बोला, “हे मेरे प्रभु, हे मेरे परमेश्वर” (यूहन्ना 20:28) l संदेही को यीशु ने निश्चय दिया और हमें अपार सुख l “तू ने मुझे देखा था, क्या इसलिए विश्वास किया है? धन्य वे हैं जिन्होंने बिना देखे विश्वास किया?” (पद. 29) l
वास्तविक सन्देह ज्योति ढूँढता हैं, अविश्वास अन्धकार से संतुष्ट रहता है l