“गलतियाँ हुईं,” मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने अपनी कंपनी के गैरकानूनी कार्य में लिप्त होने पर चर्चा करते हुए कही l वह खिन्न था, फिर भी दोष को दूर ही रखा और अपनी गलती को उजागर नहीं किया l
कुछ “गलतियाँ” केवल गलतियाँ हैं : सड़क के गलत दिशा में गाड़ी चलाना, टाइमर सेट नहीं करना और भोजन जला देना, अपने चेकबुक देय राशि में गलत हिसाब लगाना l किन्तु वे सुविचारित कार्य जो सीमा से परे हैं-परमेश्वर उनको पाप कहता है l परमेश्वर को आदम और हव्वा से उनकी आज्ञाकारिता के विषय प्रश्न करने पर, उन्होंने दूसरे को दोषी ठहराया (उत्प. 3:8-13) l हारून ने लोगों द्वारा निर्जन स्थान में सोने का बछड़ा बनाकर उसकी उपासना करने की जिम्मेदारी नहीं ली l वह मूसा से बोला, “जब [लोगों ने] मुझ को [सोना] दिया, मैं ने उन्हें आग में डाल दिया, तब यह बछड़ा निकल पड़ा” (निर्ग. 32:24) l
वह भी बुदबुदाया होगा, “गलतियाँ हुईं l”
कभी-कभी अपनी गलती मानने से सरल दूसरों पर दोष लगाना होता है l उसी के समान पाप को “केवल गलतियाँ” संबोधित करके उसका सही स्वभाव न स्वीकारना खतरनाक है l
किन्तु जिम्मेदारी लेने पर-पाप मानकर उसका अंगीकार करने पर-वह हमारे पापों को क्षमा करने और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है” (1 यूहन्ना 1:9) l हमारा परमेश्वर अपने बच्चों को क्षमा और आरोग्यता देता है l
परमेश्वर की क्षमा प्राप्त करने का पहला कदम स्वीकार करना है कि हमें ज़रूरत है l