स्टीवन, एक युवा देशविहीन अफ़्रीकी शरणार्थी है l उसकी सोच है कि वह मोज़ाम्बिक अथवा जिम्बाब्वे में जन्म लिया l किन्तु उसने अपने पिता को कभी नहीं देखा और अपनी माँ को खो दिया जो गृह युद्ध के कारण चलते फिरते विक्रेता की तरह एक देश से दूसरे देश में घूमती रही l पहचान-पत्र के बिना और अपना जन्मस्थान प्रमाणित नहीं करने के कारण, स्टीवन ब्रिटिश पुलिस थाने में स्वेच्छा से गिरफ्तार होकर अधिकार और नागरिकता के बगैर सड़क पर रहने की अपेक्षा जेल में रहना बेहतर समझा l
पौलुस के इफिसियों को लिखते समय किसी देश का न होना उसकी सोच में थी l उसके गैर-यहूदी पाठक विदेशी और मुसाफिर का जीवन जानते थे (2:12) l मसीह में जीवन और आशा मिलने पर ही (1:13) उन्होंने स्वर्गिक राज्य में होने का मर्म जाना था (मत्ती 5:3) l मसीह में, उन्होंने जाना था कि यीशु जिस पिता को प्रगट करने आया था उसको जानना और उसकी देखभाल का अर्थ क्या है (मत्ती 6:31-33) l
हालाँकि, पौलुस ने जाना कि, बीती बातों के धूमिल होने पर, उसका एक अल्प स्मरण हमारे भूलने का कारण बन सकती है कि, जबकि आशा नया मानदंड है, निराशा पुरानी सच्चाई है l
प्रभु हमें सुरक्षित जीवन जीने में सहायता करे-कि हर दिन हम जाने कि यीशु मसीह में विश्वास के कारण हम उसके परिवार के हैं और उसमें हमारा घर होने से हमारे अधिकार और लाभ क्या हैं l
आशा उनके लिए सार्थक है जिनके पास आशा नहीं है l