जिस दिन से हमदोनों पति-पत्नी ने अपने वृद्ध माता-पिता की सेवा करना आरंभ किया, हमने बाहें मिलाये और महसूस किया जैसे हम खड़ी चट्टान से कूद रहें हों l हमें ज्ञात नहीं था कि सेवा करने की प्रक्रिया में कठिनतम काम जिसका हम सामना करेंगे, हमारे हृदयों को टटोलना और उसे अनुकूल बनाना होगा और परमेश्वर को अनुमति देनी होगी कि वह इस विशेष समय का उपयोग कर नए तरीकों से हमें अपने समान बनाए l
उन दिनों में जब मैं धरती पर बेकाबू होकर तेजी से गिरता हुआ अहसास किया, परमेश्वर ने मुझे मेरी विषय-सूची, मेरा सुरक्षित अधिकार, मेरा भय, मेरा घमंड, और मेरा स्वार्थ दिखाया l उसने मेरे टूटे हिस्सों द्वारा मुझे अपना प्रेम और क्षमा दिखाया l
मेरे पासबान ने कहा, “सर्वोत्तम दिन वह है जब आप खुद को देखते हैं कि आप क्या हैं-मसीह के बिना निराश l तब आप अपने को उसकी नज़र से देखते हैं-उसमें पूर्ण l” मेरे जीवन में सेवा करने की आशीष यही थी l जब मैंने महसूस कर कि परमेश्वर ने मुझे किस लिए बनाया था, मैं रोते हुए भाग कर उसकी बाहों में गया l मैंने भजनकार के साथ पुकारा : “हे परमेश्वर, मुझे जाँचकर जान ले!” (भजन 139:23) l
आपके लिए भी मेरी प्रार्थना यही है-कि जब आप खुद को अपनी परिस्थितियों में देखते हैं, आप मुड़कर दौड़ते हुए परमेश्वर के प्रेमी, और क्षमाशील बाहों में जाएंगे l
जब चिंता होती है ताकत चली जाती है l
किन्तु परमेश्वर के निकट जाने पर ताकत लौट आती है l