मध्य-बीसवीं शताब्दी के सक्रिय मसीही अगुआ, और द नेविगेटर्स (The Navigators) के संस्थापक, डॉसन ट्रोटमैंन ने प्रत्येक मसीही के जीवन में बाइबिल के महत्व पर बल दिया l ट्रोटमैंन अपने हर दिन का अंत एक अभ्यास से करता था जिसे वह कहता था “उसका शब्द अंतिम शब्द l” सोने से पहले वह बाइबिल के एक कंठस्थ पद या परिच्छेद पर चिंतन करके, अपने जीवन में उसके स्थान और प्रभाव के विषय प्रार्थना करता था l उसकी इच्छा थी कि हर दिन उसके विचार में अंतिम शब्द परमेश्वर के शब्द होने चाहिए l
भजनकार दाऊद ने लिखा, “मैं बिछौने पर पड़ा तेरा स्मरण करूँगा, तब रात के एक एक पहर में तुझ पर ध्यान करूँगा; क्योंकि तू मेरा सहायक बना है, इसलिए मैं तेरे पंखों की छाया में जयजयकार करूँगा” (भजन 63:6-7) l अति कठिनाई अथवा शांति के समय रात में हमारे मन को विश्राम और सुख देनेवाले अंतिम शब्द परमेश्वर के हों l ये अगली सुबह का सुर भी होगा l
एक मित्र हर दिन का समापन अपने चार बच्चों के साथ ऊँची आवाज में बाइबिल का एक पद और दैनिक मनन पढ़कर ही समाप्त करते हैं l वे हर बच्चे से प्रश्न और विचार आमन्त्रित करके विचारते हैं कि घर और स्कूल में यीशु के अनुसरण का क्या अर्थ है l वे इसको हर दिन के लिए “उसका शब्द अंतिम शब्द” कहते हैं l
दिन के समापन का कितना बेहतर तरीका!
जब हम परमेश्वर के वचन पर मनन करते हैं
परमेश्वर का आत्मा हमारे मनों को नूतन बनता है l