मेरी पत्नी करोलिन और मैं लन्दन में घूमते समय गॉडलिमैंन मार्ग(Godliman street) नामक सड़क पर पहुंचे l हमें बताया गया कि यहाँ एक धर्मी रहता था जिसके कारण इस सड़क का नामकरण “उस धर्मी जन के नाम” पर किया गया l इससे मुझे पुराने नियम की एक कहानी याद आयी l
शाऊल के पिता ने अपने पुत्र और एक सेवक को उनके खोये हुए गधों को खोजने भेजा l युवक बहुत दिनों तक गधों को खोजते रहे किन्तु नहीं ढूँढ़ पाए l
शाऊल हार कर घर लौटनेवाला था, जब उसके सेवक ने शमूएल का गाँव, रामाह की ओर संकेत करके उत्तर दिया, “सुन, इस नगर में परमेश्वर का एक जन है जिसका बड़ा आदरमान होता है; और जो कुछ वह कहता है वह बिना पूरा हुए नहीं रहता l अब हम उधर चलें, संभव है वह हम को हमारा मार्ग बताए कि किधर जाए” (1 शमू. 9:6) l
अपने सम्पूर्ण जीवन और वृद्धावस्था में, शमूएल परमेश्वर के साथ मित्रता और संगति की, और उसके शब्द वजनी और सत्य थे l लोग उसे परमेश्वर के नबी के तौर पर जानते थे l इसलिए शाऊल और उसका सेवक “उस नगर को चले जहाँ परमेश्वर का जन रहता था” (पद.10) l
काश, हमारे जीवन भी ऐसे ही यीशु को प्रगट करें कि हम अपने पड़ोस पर छाप छोड़ें, और कि हमारी धार्मिकता याद रहे!
एक धर्मी जीवन सबसे प्रभावशाली साक्षी है l