अपोलो 15 के अन्तरिक्ष यात्री एल वोर्डन चाँद के ऊपर का अनुभव जानता था l क्योंकि तीन दिन पहले 1971 में, वह अकेले अपने अन्तरिक्ष यान (कमांड मोड्यूल) Endeavor में गया, जबकि दो सहयोगी हजारों मील नीचे चाँद की धरती पर कार्यरत रहे l उसके एकलौते मित्र अनगिनित तारे उसे ज्योति की चादर में लपेटे हुए थे l
जब सूर्यास्त बाद पुराने नियम के चरित्र याकूब ने अपने घर से दूर अकेले रात बिताई, वह भी अकेला था, किन्तु एक भिन्न कारण से l वह अपने सगे भाई से दूर भाग रहा था-जो उसे परिवार की आशीष का अधिकार जो स्वाभाविक तौर से पहलौठे का होता था, छीनने के कारण उसको मारना चाहता था l फिर भी नींद में, याकूब ने सपने में स्वर्ग और पृथ्वी के बीच एक सीढ़ी देखी l उसने स्वर्गदूतों को चढ़ते उतरते देखते हुए परमेश्वर को उसे प्रतिज्ञा देते सुना कि वह उसके साथ रहकर उसके बच्चों द्वारा समस्त संसार को आशीषित करेगा l याकूब जागकर बोला, “निश्चय इस स्थान में यहोवा है; और मैं इस बात को नहीं जानता था” (उत्पत्ति 28:16) l
अपने धोखे के कारण याकूब अकेला था l फिर भी अपने वास्तविक पराजय, और रात की कालिमा में, वह उसकी उपस्थिति में था जिसके पास हमेशा हमारे लिए दूर तक की बेहतर योजना है l हमारी कल्पना से निकट स्वर्ग है और “याकूब का परमेश्वर” हमारे साथ है l
परमेश्वर हमारी सोच से कहीं निकट है l