पांच मिनट का नियम
मैं एक माँ को याद करता हूँ जिसके पास पांच मिनट का नियम था l प्रतिदिन बच्चों को स्कूल जाने से पांच मिनट पूर्व प्रार्थना के लिए इकट्ठा होना होता था l
बच्चे माँ के चारों ओर इकठ्ठा होते और वह प्रत्येक का नाम लेकर उनके दिन पर प्रभु का आशीष मांगती l फिर उसके प्यार करने के बाद वे चले जाते l पड़ोस के बच्चे भी इसमें शामिल हो जाते थे l कई वर्षों बाद एक बच्चे ने सीखी गई दैनिक प्रार्थना की विशेषता का अनुभव बताया l
भजन 102 का लेखक प्रार्थना का महत्त्व जानता था l इस भजन को कहते हैं, “दीन जन की उस समय की प्रार्थना जब वह दुःख का मारा अपने शोक की बातें यहोवा के सामने खोलकर कहता हो l” उसने पुकारा, “हे यहोवा, मेरी प्रार्थना सुन; ... जिस समय मैं पुकारूँ, उसी समय फुर्ती से मेरी सुन ले” (पद. 1-2) l परमेश्वर “ऊँचे ... स्थान से दृष्टि करके ... स्वर्ग से पृथ्वी की ओर देखा” (पद. 19) l
परमेश्वर आपकी चिंता करता है और आपकी सुनना चाहता है l चाहे आप पांच मिनट का नियम मानकर अपने दिन पर आशीष मांगे, या परेशानी के समय उसे अधिक समय पुकारते हैं, प्रभु से रोज़ प्रार्थना करें l आपका उदाहारण आपके परिवार और पड़ोसी पर गहरा प्रभाव डालेगा l
अन्तरिक्ष में अकेला
अपोलो 15 के अन्तरिक्ष यात्री एल वोर्डन चाँद के ऊपर का अनुभव जानता था l क्योंकि तीन दिन पहले 1971 में, वह अकेले अपने अन्तरिक्ष यान (कमांड मोड्यूल) Endeavor में गया, जबकि दो सहयोगी हजारों मील नीचे चाँद की धरती पर कार्यरत रहे l उसके एकलौते मित्र अनगिनित तारे उसे ज्योति की चादर में लपेटे हुए थे l
जब सूर्यास्त बाद पुराने नियम के चरित्र याकूब ने अपने घर से दूर अकेले रात बिताई, वह भी अकेला था, किन्तु एक भिन्न कारण से l वह अपने सगे भाई से दूर भाग रहा था-जो उसे परिवार की आशीष का अधिकार जो स्वाभाविक तौर से पहलौठे का होता था, छीनने के कारण उसको मारना चाहता था l फिर भी नींद में, याकूब ने सपने में स्वर्ग और पृथ्वी के बीच एक सीढ़ी देखी l उसने स्वर्गदूतों को चढ़ते उतरते देखते हुए परमेश्वर को उसे प्रतिज्ञा देते सुना कि वह उसके साथ रहकर उसके बच्चों द्वारा समस्त संसार को आशीषित करेगा l याकूब जागकर बोला, “निश्चय इस स्थान में यहोवा है; और मैं इस बात को नहीं जानता था” (उत्पत्ति 28:16) l
अपने धोखे के कारण याकूब अकेला था l फिर भी अपने वास्तविक पराजय, और रात की कालिमा में, वह उसकी उपस्थिति में था जिसके पास हमेशा हमारे लिए दूर तक की बेहतर योजना है l हमारी कल्पना से निकट स्वर्ग है और “याकूब का परमेश्वर” हमारे साथ है l
स्पर्श मात्र
किली पूर्वी अफ्रीका के एक दुरस्त क्षेत्र में एक मेडिकल मिशन पर जाने का अवसर पाकर प्रसन्न थी, किन्तु असहज l उसके पास मेडिकल अनुभव नहीं था l फिर भी, वह बुनियादी देखभाल कर सकती थी l
वहाँ रहते हुए उसकी मुलाकात एक महिला से हुयी जो भयंकर किन्तु साध्य रोग से ग्रस्त थी l उसका विकृत टांग उसको अकेला रखता था, किन्तु किली को कुछ करना ही था l टांग को साफ़ करके पट्टी करते समय, मरीज़ चिल्लाने लगी l चिंतित किली ने पूछा कि वह उसको तकलीफ तो नहीं पहुँचा रही l “नहीं,” उसने उत्तर दिया l “नौ वर्षों में पहली बार किसी ने मुझे छुआ है l”
कुष्ठ एक और बिमारी है जो अपने शिकार को दूसरों से दूर करता है, और प्राचीन यहूदी संस्कृति में इसके प्रसार को रोकने के लिए कठोर मार्गदर्शिकाएं थीं : “उन्हें अकेला रहना था,” व्यवस्था की घोषणा थी l “उसका निवास स्थान छावनी से बाहर हो” (लैव्य. 13:46) l
इसलिए यह असाधारण है कि एक कुष्ठ रोगी यीशु के निकट आकर बोला, “हे प्रभु, यदि तू चाहे, तो मुझे शुद्ध कर सकता है” (मत्ती 8:2) l “यीशु ने हाथ बढ़ाकर उसे छुआ, और कहा, “मैं चाहता हूँ, तू शुद्ध हो जा” (पद. 3) l
एक अकेली महिला का रोग ग्रस्त टांग छूकर, किली ने मसीह के भयमुक्त, एक करनेवाला प्रेम प्रदर्शित किया l मात्र एक स्पर्श अंतर लाता है l
परमेश्वर से प्रश्न
यदि आपके किसी कार्य-दिवस में प्रभु एक सन्देश लेकर आपके पास आता, आप क्या करते? एक प्राचीन यहूदी, गिदोन के साथ ऐसा हुआ l “उसको यहोवा के दूत ने दर्शन दिया, ‘हे शूरवीर सूरमा, यहोवा तेरे संग है l’” गिदोन मूक रह सकता था, किन्तु उसने कहा, “यदि यहोवा हमारे संग होता, तो हम पर यह सब विपत्ति क्यों पड़ती?” (न्या. 6:12-13) l मानो परमेश्वर ने अपने लोगों को त्याग दिया था, गिदोन जानना चाहता था l
परमेश्वर ने उस प्रश्न का उत्तर नहीं दिया l गिदोन के सात वर्षों तक शत्रुओं का आक्रमण, भुखमरी और गुफाओं में छिपने के बाद, परमेश्वर ने हस्तक्षेप नहीं करने का कारण नहीं बताया l उसने इस्राएल के अतीत के पापों को न जताते हुए, उसको आशा दी l उसने कहा, “अपनी इसी शक्ति पर जा और तू इस्राएलियों को मिद्यानियों के हाथ से छुड़ाएगा l निश्चय मैं तेरे संग हूँ l (न्यायियों 6:14,16) l
क्या आपने कभी सोचा क्यों परमेश्वर ने आपके जीवन में दुःख आने दी? उस ख़ास प्रश्न के उत्तर के बदले, परमेश्वर आपको अपनी निकटता से आज संतुष्ट करके ताकीद देता है कि आप दुर्बलता में उसकी सामर्थ्य पर निर्भर हों l गिदोन के अंततः भरोसा करने पर कि परमेश्वर साथ था और मदद करेगा, उसने एक वेदी बनाकर उसको “यहोवा शालोम” नाम दिया (पद.24) l
इसमें शांति है कि हमारे हर काम और स्थान में, परमेश्वर साथ रहेगा l