मेरी सहेली आँसुओं से बोली, “कोई भरोसेमंद नहीं है l भरोसा करने पर, वे हर समय मुझे दुःख देते हैं l” मैं उसकी कहानी से क्रोधित हुयी-एक भरोसेमंद पूर्व मित्र, ने उनके बीच सम्बन्ध टूटने पर अफ़वाहें फैलाने लगा l पीड़ादायक बचपन के बाद पुनः भरोसा करने हेतु प्रयासरत, यह धोखा मात्र एक और पुष्टिकरण था कि लोग भरोसेमंद नहीं हैं l
मुझे सुखकर शब्द नहीं मिला l एक बात मैं न कह सकी कि उसका यह ख्याल गलत था कि पूर्ण भरोसेमंद व्यक्ति खोजना कठिन है, अर्थात् अधिकतर लोग पूर्ण दयालु और भरोसेमंद हैं l उसकी कहानी दर्दनाक थी, और मैंने अपने जीवन में अनपेक्षित धोखे के क्षण याद किये l वस्तुतः, वचन मानवीय स्वभाव के विषय बहुत निष्पक्ष है l नीतिवचन 20:6 में, लेखक भी मेरी सहेली की तरह धोखे के दर्द को हमेशा याद करके विलाप करता है l
मैं यह कह सकती हूँ कि दूसरों की क्रूरता कहानी का केवल एक हिस्सा है l यद्यपि दूसरों का दिया हुआ घाव वास्तविक और पीड़ादायक है, यीशु ने सच्चा प्रेम सम्भव किया है l यूहन्ना 13:35 में, यीशु ने अपने शिष्यों से कहा कि संसार उनके प्रेम से जानेगा कि वह उसके शिष्य हैं l यद्यपि कुछ लोग हमें दुःख देंगे, यीशु के कारण हमेशा ऐसे लोग होंगे जो, खुलकर उसका प्रेम बाँटकर, हमें शर्तहीन सहयोग देकर देखभाल करेंगे l उसके अक्षय प्रेम में विश्राम करते हुए, चंगाई, संगति, और उसकी तरह प्रेम करने का साहस प्राप्त करें l
यीशु ने सच्चा प्रेम संभव किया l