वर्तमान के कीर्ति-आसक्त संस्कृति में, यह आश्चर्यजनक नहीं कि उद्यमी “मशहूर लोगों को उत्पाद की तरह बेचते हुए … उन्हें अपना व्यक्तिगत समय और आदर-सत्कार बेचने की अनुमति देते हैं l” द न्यू यॉकर  में वोव्हिनी वारा का लेख कहता है कि 15,000 डॉलर में, आप गायिका शकीरा के साथ व्यक्तिगत मुलाकर कर सकते हैं, जबकि 12,000 डॉलर आपके साथ 11 अतिथियों को मशहूर शेफ(रसोइया) माइकल चियारेलो के साथ उसके ही घर में भोजन करने का अवसर दे सकता है l

     अनेक लोगों ने यीशु को ख्यातिप्राप्त व्यक्ति मानकर जगह-जगह उसका अनुसरण करते हुए, उसकी शिक्षा को सुना, उसके आश्चर्यकर्मों पर ध्यान दिया, और उसके स्पर्श से चंगाई पाने की कोशिश की l फिर भी यीशु अभिमानी अथवा अलग रहनेवाला व्यक्ति न होकर, सबके लिए उपलब्ध था l जब उसके अनुयायी याकूब और यूहन्ना व्यक्तिगत रूप से  चतुराई से उसके आनेवाले राज्य में पद पाने का प्रयास कर रहे थे, यीशु ने अपने शिष्यों को याद दिलाया, “जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे वह तुम्हारा सेवक बने; और जो कोई तुममें प्रधान होना चाहे, वह सब का दास बने” (मरकुस 10:43-44) l

     यीशु के यह कहने के शीघ्र बाद, उसने लोगों के एक भीड़ से रुककर एक अंधे भिखारी से पूछने को कहा, “तू क्या चाहता है कि मैं तेरे लिए करूँ?” (पद.51) l “हे रब्बी, यह कि मैं देखने लगूं,” उस व्यक्ति ने उत्तर दिया l” वह तुरंत चंगा होकर यीशु के पीछे चल पड़ा(पद.52) l

     हमारा प्रभु “इसलिए नहीं आया कि उसकी सेवा टहल की जाए, पर इसलिए आया कि आप सेवा टहल करे, और बहुतों की छुड़ौती के लिए अपना प्राण दे” (पद.45) l काश हम भी आज उसकी तरह, करुणामयी और सबके लिए उपलब्ध रहें l