डॉक्टर के शब्दों से मेरे हृदय को तेज झटका लगा l कैंसर हो गया है l अपने पति और बच्चों के विषय सोचकर उसका संसार ठहर गया l उन्होंने एक भिन्न परिणाम की आशा से ईमानदारी से प्रार्थना की थी l अब वे क्या करेंगे? वह रोती हुई धीमे से बोली, “परमेश्वर, यह हमारे नियंत्रण में नहीं है l आप हमारी सामर्थ्य बने l”
हमें क्या करना चाहिए जब रोगनिदान हानिकारक है, जब स्थिति हमारे नियंत्रण के बाहर है? जब संभावनाएं आशाहीन महसूस हो हम किसकी ओर देखें?
हबक्कूक नबी की स्थिति नियंत्रण से बाहर थी, और महसूस होनेवाले भय से वह भयभीत था l आनेवाला न्याय विनाशकारी होगा (हब. 3:16-17) l फिर भी, इस आनेवाली गड़बड़ी में, हबक्कूक को विश्वास से जीने के लिए (2:4) और परमेश्वर में आनंदित रहने के लिए(3:18) निर्णय लेना था l उसने अपना भरोसा और विश्वास अपनी परिस्थितियों में, योग्यता में, अथवा संसाधन में नहीं रखा, किन्तु परमेश्वर की भलाई और महानता में रखा l परमेश्वर में उसके भरोसे ने उसे कहने को विवश किया : “यहोवा परमेश्वर मेरा बलमूल है, वह मेरे पाँव हरिणों के समान बना देता है, वह मुझ को मेरे ऊँचे स्थानों पर चलाता है” (पद.19) l
जब हम बीमारी, पारिवारिक संकट, आर्थिक परेशानी जैसे कठिन परिस्थियों का सामना करते हैं, हमें भी परमेश्वर में अपना भरोसा और विश्वास रखना होगा l हम जिस भी परिस्थितियों का सामना करते हैं, वह हमारे साथ है l
कठिन परिस्थितिओं का सामना करते हुए
हम परमेश्वर पर भरोसा करके उसे अपनी सामर्थ्य माने l