ऑस्ट्रेलिया में एक शहर से दूसरे शहर तक गाड़ी से जाने में घंटों लग सकते हैं और थकान से दुर्घटना हो सकती है l इसलिए छुट्टियों के व्यस्त समयों में मुख्य राजमार्गों पर वाहन खड़ी करने के स्थान बने हुए हैं जहाँ स्वयंसेवक मुफ्त कॉफ़ी परोसते हैं l मेरी पत्नी, मेरिन और मैंने अपनी लम्बी यात्राओं में इन विश्राम स्थानों पर रुक कर इनका आनंद उठाना सीखा है l

एक बार, हम दोनों यहाँ रुक कर अपनी काफी आर्डर की l एक परिचारक ने हमें भरे हुए दो कप काफी परोसे, और फिर दो डॉलर मांगे l मेरे पूछने पर कि क्यों, उसने सुचना-पट्ट पर छोटे अक्षरों में लिखे हुए शब्दों की ओर इशारा किया l इस विश्राम स्थान पर, केवल चालकों  को मुफ्त काफी परोसी जाती है; आपको सवारियों के लिए भुगतान करनी होगी l नाराज़ होकर मैंने उससे कहा कि यह झूठा विज्ञापन है, और दो डॉलर देकर चल दिया l कार में मेरिन ने मेरी गलती मुझे बतायी : मैंने एक उपहार को अधिकार समझ लिया था और जो कुछ मुझे मिला उसके लिए धन्यवादी नहीं था l वह ठीक बोल रही थी l

जब मूसा ने इस्राएलियों को प्रतिज्ञात देश में लिए चला, उसने उनसे धन्यवादी लोग बनने का आग्रह किया (व्यव. 8:10) l परमेश्वर की आशीष के लिए धन्यवाद, क्योंकि देश बहुतायत का था, किन्तु वे आसानी से इस समृद्धि को अधिकार मान सकते थे (पद.17-18) l इससे, यहूदियों ने हर एक भोजन के लिए चाहे वह कितना भी थोड़ा हो, धन्यवाद देने का अभ्यास किया l उनके लिए, वह पूरी तौर से उपहार था l

मैंने उस महिला के पास जाकर क्षमा मांगी l कॉफ़ी उपहार था जिस पर  मेरा अधिकार नहीं था और जिसके लिए धन्यवाद ज़रूरी था l