एक सेवानिवृत सैनिक के अंतिम संस्कार के समय एक पासवान के मन में ख्याल आया कि वह सैनिक कहाँ होगा l किन्तु तब ही, लोगों को यह न बताकर कि वे परमेश्वर को कैसे जान सकते हैं, उसने काल्पनिक बातें करनी शुरू कर दी जो बाइबिल में नहीं हैं l ऐसी बातें सुनकर मैं सोचने लगा l आशा कहाँ है?
आखिर में उसने अंतिम गीत गाने को कहा l और जब हम खड़े होकर “प्रभु महान” गाने लगे, लोग अपने हृदय की गहराई से परमेश्वर की प्रशंसा करने लगे l कुछ ही क्षणों में, पूरे कमरे का वातावरण ही बदल गया था l अचानक, आश्चर्यजनक रूप से, तीसरे पद के मध्य मेरी भावनाएं मेरी आवाज़ से तीव्र थी l
जब सोचता हूँ कि पिता अपना पुत्र, मरने भेजा है वर्णन से अपार,
कि क्रूस पर उसने मेरे पाप सब लेकर, रक्त बहाया कि मेरा हो उद्धार l
उस गीत के गाने तक, मैं सोच रहा था कि परमेश्वर उस अंतिम संस्कार में उपस्थित होगा या नहीं l सच्चाई यह है कि वह तो कभी छोड़ता ही नहीं है l एस्तेर की पुस्तक से यह सच्चाई प्रगट होती है l यहूदी बन्धुआई में थे, और शक्तिशाली लोग उनको मारना चाहते थे l फिर भी सबसे कठिन समय में, अधर्मी राजा ने दास बनाए गए इस्राएलियों को उनके विरुद्ध खुद का बचाव करने की अनुमति दी जो उनको मार डालना चाहते थे (एस्तेर 8:11-13) l परिणामस्वरूप एक सफल बचाव दिखा और उत्सव मनाया गया (9:17-19) l
यदि किसी अंतिम संस्कार में परमेश्वर एक गीत के शब्दों द्वारा खुद को प्रगट करता है तो इसमें चकित होने की ज़रूरत नहीं l आखिरकार, उसने एक प्रयासित जातिसंहार को उत्सव में और एक क्रूसीकरण को जी उठने और उद्धार में बदल दिया!
हमारा चकित करनेवाला परमेश्वर तब अपनी उपस्थिति देता है
जब हम आशा भी नहीं करते है l