वर्षों से मैंने घाना देश की एक कहानी बार-बार बताई है जब मेरा भाई और मैं छोटे थे l मैं याद करता हूँ कि उसने अपनी लोहे की पुरानी तिपहिया साइकिल एक छोटे नाग सांप के ऊपर खड़ी कर दी थी l तिपहिया साइकिल उस सांप के लिए बहुत भारी थी, जो अगले पहिये के नीचे दबा रहा l
किन्तु मेरी मौसी और मेरी माँ की मृत्यु के बाद, हमें माँ का लिखा हुआ एक पुराना पत्र मिला जिसमें इस घटना का वर्णन था l वास्तव में, मैंने सांप के ऊपर साइकिल खड़ी कर दी थी, और मेरा छोटा भाई इसके विषय मेरी माँ से कहने गया था l उन्होंने सचमुच में इस घटना को देखा था और वास्तविक घटना के विषय उनके लिखने से सच्चाई प्रगट हुआ l
इतिहासकार लूका सही शब्दों के महत्त्व को जानता था l उसने समझाया कि “जो पहले ही से इन बातों के देखनेवाले . . . थे” यीशु की कहानी को हम तक पहुँचाया (लूका 1:2) l उसने थियुफिलुस को लिखा, “उन सब बातों का सम्पूर्ण हाल और आरम्भ से ठीक-ठीक जांच करके, उन्हें तेरे लिए क्रमानुसार लिखूं ताकि तू यह जान ले कि वे बातें जिनकी तू ने शिक्षा पायी है, कैसी अटल हैं” (पद.3-4) l लूका का सुसमाचार परिणाम है l उसके बाद, प्रेरितों के काम की पुस्तक के आरंभ में, लूका यीशु के विषय कहता है, “उसने दुःख उठाने के बाद बहुत से पक्के प्रमाणों से अपने आप को उन्हें जीवित दिखाया” (प्रेरितों 1:3) l
हमारा विश्वास अफ़वाह और अभिलाषी सोच पर आधारित नहीं है l वह यीशु के जीवन के लिखित प्रमाणों पर आधारित है, जो परमेश्वर के साथ हमारा मेल कराने आया l उसकी कहानी अटल है l
असली विश्वास के पीछे असली कारण है l