वाशिंगटन डी सी, में राष्ट्रीय कला भवन का सैर करते हुए मैंने अति उत्तम रचना “द विंड” देखा l तस्वीर में एक जंगल में आंधी चल रही थी l ऊंचे, पतले पेड़ बायीं ओर झुक रहे थे l झाड़ियाँ उसी दिशा में गिर रहीं थीं l
इससे भी अधिक सामर्थी भाव में, पवित्र आत्मा विश्वासियों को परमेश्वर की भलाई और सच्चाई की ओर झुका सकता है l पवित्र आत्मा के साथ चलकर, हम अधिक साहसी और प्रेमी बन सकते हैं l हम अधिक समझदारी से अपनी इच्छाओं को सँभाल सकेंगे (2 तीमु. 1:7) l
कुछ एक स्थितियों में, हालाँकि, पवित्र आत्मा हमें आत्मिक उन्नत्ति और बदलाव की ओर ले जाता है, किन्तु हम “नहीं” कहते हैं l वचन लगातार इस दृढ़ विश्वास में अवरोध उत्पन्न करने को “आत्मा को” बुझाना कहती है (1 थिस्स. 5:19) l समय के साथ, जिन बातों को हम गलत मानते थे अब उतने बुरे नहीं लगते l
परमेश्वर के साथ हमारा सम्बन्ध दूर और टूटा महसूस होता है, क्योंकि आत्मा के दृढ़ निश्चय को बारम्बार किनारे किया गया है l जितने लम्बे समय तक ऐसा होगा, समस्या का कारण जानना उतना ही कठिन होगा l धन्यवाद हो, हम प्रार्थना करके परमेश्वर से हमारे पाप प्रगट करने का आग्रह कर सकते हैं l यदि हम पाप से मन फिराकर स्वयं को पुनः उसके सामने समर्पित करते हैं, परमेश्वर हमें क्षमा करके हमारे अन्दर अपनी आत्मा की सामर्थ और प्रभाव को जागृत करेगा l
पवित्र आत्मा के सामने समर्पण सही जीवन की ओर ले जाता है l