Month: नवम्बर 2017

अपूर्ण, फिर भी प्रेम किया गया

जापान में भोजन पदार्थ शुद्धता से तैयार और पैक किये जाते हैं l उनके स्वाद और रूप दोनों ही अच्छे होने चाहिए l अक्सर मैं सोचता हूँ कि मैं भोजन सामग्री खरीद रहा हूँ या उसकी पैकिंग! जापान द्वारा अच्छी गुणवत्ता पर बल देने के कारण, उत्पाद में थोड़ी त्रुटी के कारण भी उसे हटा दिया जाता है l हालाँकि, इन हाल के वर्षों में वेकियरी(wakeari) उत्पाद ने लोकप्रियता हासिल कर लिया है l जापानी भाषा में वेकियरी(wakeari) का अर्थ है “एक कारण है l” ये हटाए गए उत्पाद फेंके नहीं जाते हैं किन्तु “एक कारण से” थोड़े कम दाम में बेचे जाते हैं-उदहारण के लिए, टूटे हुए बिस्कुट l

जापान में रहनेवाला मेरा मित्र मुझे बताता है कि वेकियरी(wakeari) प्रत्यक्ष रूप से अपूर्ण लोगों के लिए उपयोग किया जानेवाला तकिया कलाम भी है l

यीशु सभी लोगों से प्रेम करता है-वेकियरी(wakeari) लोगों को भी जिन्हें समाज अलग कर देता है l जब एक पापिनी स्त्री को पता चला कि यीशु एक फरीसी के घर में भोजन पर निमंत्रित है, वह रोती हुयी यीशु के चरणों पर गिर गयी(लूका 7:37-38) l फरीसी ने उसे “एक पापिनी” कहा (पद.39), किन्तु यीशु ने उसे स्वीकार किया l उसने उससे कोमलता से बात करते हुए, उसे भरोसा दिलाया कि उसके पाप क्षमा कर दिए गए (पद.48) l

यीशु अपूर्ण, वेकियरी(wakeari) लोगों से प्रेम करता है अर्थात् जिसमें आप और मैं शामिल हैं l और उसके प्रेम का महानतम रूप यह है कि “जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिए मरा” (रोमियों 5:8) l उसके प्रेम को ग्रहण करनेवाले के रूप में, हम अपने चारों तरफ के दोषपूर्ण लोगों के लिए उसके प्रेम का माध्यम बन जाएं ताकि वे भी जान सकें कि उनकी अपूर्णता के बावजूद वे भी परमेश्वर का प्रेम प्राप्त कर सकते हैं l

हमदर्दी की सामर्थ्य

R70i उम्र पोशाक पहन लें और आप तुरंत खुद को कमज़ोर दृष्टिवाला , ऊंचा सुनने वाला, और चलने-फिरने में सीमित, 40 वर्ष अधिक उम्र का महसूस करने लगेंगे l देखभाल करनेवालों द्वारा अपने मरीजों को बेहतर समझने के लिए उम्र पोशाक बनाया गया है l वाल स्ट्रीट जर्नल (अख़बार) के संवाददाता जेफरी फौलर ने एक उम्र पोशाक पहनने के बाद लिखा, “हमेशा याद रहनेवाला और कभी-कभी तकलीफ़देह, यह अनुभव केवल बुढ़ापा पर ही प्रकाश नहीं डालता है, किन्तु  प्रभाव डालनेवाली वास्तविक सामग्री भी हमदर्दी सिखा सकती है और हमारे चारों ओर के संसार के विषय हमारे दृष्टिकोण को आकार दे सकती है l”

हमदर्दी दूसरों की भावनाओं को समझने और उसे साझा करने की शक्ति है l यीशु के अनुयायियों के कठिन सताव के समय, इब्रानियों के लेखक ने सह-विश्वासियों से कहा, “कैदियों की ऐसी सुधि लो कि मानो उनके साथ तुम भी कैद हो, और जिनके साथ बुरा बर्ताव किया जाता है, उनकी भी यह समझकर सुधि लिया करो कि हमारी भी देह है” (इब्रानियों 13:3) l

हमारे उद्धारकर्ता ने भी ऐसा ही हमारे साथ किया l यीशु हमारे समान बनाया गया, “सब बातों में भाईयों के समान ... जिससे वह ... लोगों के पापों के लिए प्रायश्चित करे l क्योंकि जब उसने परीक्षा की दशा में दुःख उठाया, तो वह उनकी भी सहायता कर सकता है जिनकी परीक्षा होती है” (2:17-18) l

मसीह प्रभु, जो हमारे समान बन गया, हमें दूसरों के साथ खड़े होने के लिए बुलाता है “मानो जैसे [हम] उनके साथ” उनकी ज़रूरत के समय थे l

हमारा सामर्थी परमेश्वर

एक दिन समुद्र के निकट, मैंने कुछ लोगों को विशेष प्रकार के पटरे पर खड़े होकर समुद्र की लहरों से खेलते हुए देखा जो हवा के दबाव से पानी पर तैर रहे थे l एक से मैंने उसके अनुभव के विषय पूछा कि वह अनुभव कठिन तो नहीं था जैसा दिखाई देता था l उसने कहा, “नहीं, सामान्य तौर पर पटरे पर फिसलना सरल है क्योंकि आप हवा की शक्ति को नियंत्रित कर लेते हैं l”

बाद में समुद्र तट के निकट टहलते समय, पटरे को चलाने के लिए ही नहीं किन्तु मेरे बालों को मेरे चेहरे पर उड़ाने की शक्ति के विषय सोचकर, मैंने हमारे सृष्टिकर्ता पर विचार किया l जैसे हम पुराने नियम के आमोस की पुस्तक में देखते हैं, वह जो “पहाड़ों का बनानेवाला” है “भोर को अन्धकार” में बदल देता है (पद.13) l

इस नबी के द्वारा, प्रभु ने अपने लोगों को वापस अपने पास लौटाकर उन्हें अपनी सामर्थ्य के विषय याद दिलाया l इसलिए कि उन्होंने उसकी आज्ञाएँ नहीं मानी थी, उसने कहा कि वह उन पर खुद को प्रगट करेगा (पद.13) l यद्यपि हम यहाँ पर उसके न्याय को देखते हैं, हम बाइबिल में अन्यत्र उसके बलिदानी प्रेम को भी देखते हैं जब उसने हमें बचाने के लिए अपने पुत्र को भेजा (देखें यूहन्ना 3:16) l

दक्षिण इंग्लैंड में इस दिन हवा की शक्ति ने मुझे प्रभु की कोरी विशालता याद दिलायी l  जब आप हवा को महसूस करें, क्यों न रुककर सर्वसामर्थी परमेश्वर पर विचार करें?

बेहतर जानना

जब हम अपने दत्तक बेटे को विदेश से घर लाए, मैं उस पर अपना प्रेम निछावर करना चाहता था और पिछले महीनों में जो उसकी कमियाँ रहीं थी उन्हें पूरा करना चाहता था, विशेषकर अच्छा भोजन, क्योंकि उसे पोषण का अभाव था l किन्तु हमारे सबसे अच्छे प्रयासों और विशेषज्ञों की सलाह के बाद भी, उसकी उन्नति बहुत कम हो रही थी l लगभग तीन वर्षों के बाद, हमें पता चला कि वह कुछ भोजन वस्तु नहीं खा सकता था l उन वस्तुओं को उसके भोजन से हटाने के बाद, वह कुछ ही महीनों में पाँच इंच बढ़ गया l मेरे अफ़सोस करने पर कि काफी समय तक मैंने उसके स्वास्थ्य के विरुद्ध भोजन खिलाया था, मैं अब उसके स्वास्थ्य की उन्नति से आनंदित था l

मैं समझता हूँ कि मंदिर में वर्षों तक खोयी हुई व्यवस्था की पुस्तक के मिलने पर  योशिय्याह भी ऐसा ही महसूस किया होगा l जैसे मैंने भी अनजाने में अपने बेटे की उन्नति में बाधा था, योशिय्याह भी दुखित हुआ कि उसने अज्ञानता के कारण परमेश्वर की पूर्ण और सर्वोत्तम इच्छाओं से अपने लोगों को वंचित रखा (2 राजा 22:11) l यद्यपि प्रभु की नज़रों में सही कार्य के लिए उसकी प्रशंसा की गयी(पद.2), उसने व्यवस्था की पुस्तक प्राप्त करने के बाद बेहतर तरीके से परमेश्वर को आदर दिया l नया ज्ञान प्राप्त करने के बाद, उसने परमेश्वर के निर्देश के अनुसार अराधना में लोगों की अगुवाई किया (23:22-23) l

जब हम बाइबिल से उसका आदर करना सीखते हैं, हम दुखित होंगे कि हम परमेश्वर की इच्छानुसार नहीं कर सके l फिर भी हम चैन प्राप्त करते हैं कि वह हमें चंगा करता है और पुनःस्थापित करता है, और गहरी समझ प्राप्त करने में कोमलता से अगुवाई करता है l

परमेश्वर जानता है

अपने चर्च में एक दुखित महिला से मिलकर डेनिसी ने उसकी सहायता करना चाहा l प्रति सप्ताह वह उसे परामर्श देती रही और उसके लिए प्रार्थना करती रही l डेनिसी उसकी सलाहकार बन गयी l हालाँकि, चर्च के कुछ अगुए डेनिसी के प्रयासों पर ध्यान न देकर उस स्त्री के लिए एक चर्च कर्मचारी को सलाहकार नियुक्त किया l उनकी टिप्पणी थी, कोई उसकी सहायता नहीं कर रहा है l

जबकि वह कोई ख्याति नहीं चाहती थी, डेनिसी मदद करने से पीछे नहीं हटी किन्तु थोड़ा निराश हुई l उसने मुझसे कहा, “ऐसा महसूस होता है जैसे मैं कुछ नहीं कर रही हूँ l”

हालाँकि, एक दिन, उस युवा स्त्री ने डेनिसी से बोला कि वह अपनी सांत्वना के लिए उसके प्रति धन्यवादी थी l डेनिसी उत्साहित हुई l उसे ऐसा लगा जैसे परमेश्वर उससे कह रहा है, “मैं जानता हूँ कि तुम वहाँ पर उसके लिए उपलब्ध हो l” डेनिसी अभी भी निरंतर उस स्त्री से मिलती है l

कभी-कभी, हम भी खुद को अयोग्य समझते हैं जब हमारे प्रयासों को अस्वीकार किया जाता है l हालाँकि, बाइबिल, हमें याद दिलाती है कि हमारे कामों को परमेश्वर जानता है l वह जानता है जो दूसरे नहीं कर रहे हैं l और जब हम उसके लिए काम करते हैं, वह प्रसन्न होता है किन्तु मनुष्यों की बड़ाई के लिए नहीं l

शायद इसलिए यीशु ने हमसे यह बोलकर एक उदहारण दिया कि हमारा “दान गुप्त” रहे ताकि “तेरा पिता जो ... देखता है, तुझे प्रतिफल” दे (मत्ती 6:4) l हमें मान्यता और प्रशंसा के लिए दूसरों की ओर देखने की ज़रूरत नहीं; हम ढाढ़स बांधें कि जब हम उसकी और दूसरों की सेवा में विश्वासयोग्य होंगे यह उसे परमेश्वर मालूम है l

मनुष्य होना

जब समाज में अपनी भूमिका बताने के लिए बोला गया जो कभी-कभी कानून को लागू करने में असहयोगी था, उस शासनाधिकारी ने न तो अपना बैज दिखाया और न ही अपने पद के आधार पर जवाब दिया l इसके विपरीत उसने कहा, “हम मनुष्य हैं और उन मनुष्यों की मदद करते हैं जो संकट में हैं l”

उसकी दीनता अर्थात् अपने साथी मनुष्यों के साथ उसके द्वारा व्यक्त की गयी समानता, मुझे पतरस के शब्द याद दिलाते हैं जब वह रोमी शासन के आधीन सताव सह रहे प्रथम शताब्दी के मसीहियों को लिख रहा था l पतरस निर्देश देता है : “अतः सब के सब एक मन और कृपामय और भाईचारे की प्रीति रखनेवाले, और करुणामय, और नम्र बनो” (1 पतरस 3:8 ) l शायद पतरस कह रहा था कि जो मनुष्य संकट में हैं उनके साथ मनुष्य ही बनना होगा, यह याद रखने के लिए कि हम सब एक से हैं l आखिरकार, क्या परमेश्वर अपने पुत्र को भेजकर ऐसा ही नहीं किया l वह हमारी सहायता करने के लिए मनुष्य बना? (फ़िलि. 2:7) l

अपने पतित हृदयों के भीतर झाँकने पर, अपने मानवीय अवस्था का तिरस्कार एक परीक्षा की तरह है l किन्तु क्या होगा यदि हम अपने संसार में अपने इंसानियत को अपने बलिदान का एक भाग बना दें? यीशु हमें पूर्ण मनुष्य बनाकर जीना सिखाता है, सेवक के समान जो पहचानते हैं कि हम सब एक से हैं l परमेश्वर हमें “मनुष्य” ही बनाया है, अपनी समानता और स्वरुप में बनाया है और अपने शर्तहीन प्रेम से छुड़ाया है l

आज हम लोगों को अनेक संघर्षों से सामना करते पाते हैं l अंतर की कल्पना करें जो हम मनुष्य बनकर ला सकते हैं अर्थात् उन लोगों की मदद करनेवाले साथी मनुष्य जो संकट में हैं l

हृदय का वास्तविक घर

हमारे पास कई वर्षों तक एक ख़ास जाति की शिकारी कुतिया थी l ये छोटे कुत्ते कठोर होते हैं, और बिज्जू के बिल में घुसकर “शत्रु” से लड़ते हैं l हमारी कुतिया अपनी मूल जाति से अनेक पीढ़ी अलग थी, किन्तु उसमें वह प्रवृति थी, जो अनेक बार प्रजनन करने का परिणाम था l एक बार वह हमारे पिछवाड़े में एक पत्थर के नीचे किसी ‘जंतु” के धुन में लगी रही l कुछ भी उसे रोक न सकता था l उसने चट्टान के नीचे खोद-खोद कर गहरा गड्ढा बना दिया l

अब इस प्रश्न पर ध्यान दें : क्यों हम मनुष्य पाने की कोशिश में लगे रहते हैं? हम उन पर्वतों पर जिस पर कोई चढ़ा न हो क्यों चढ़ते हैं, खड़ी ढाल पर क्यों फिसलना पसंद करते हैं? कठिन और खतरनाक तेज़ दौड़ क्यों दौड़ते हैं, प्रकृति की प्रभाव को चुनौती क्यों देते हैं? उसका एक भाग रोमांच और मौज-मस्ती की इच्छा है, किन्तु यह इससे कहीं अधिक है l यह परमेश्वर की ओर से सहज ज्ञान है जो हम मनुष्यों में है l हम परमेश्वर को खोजे बिना रह नहीं सकते l

जी हाँ, हम वह जानते नहीं हैं l हम केवल जानते हैं कि हम कुछ चाहते हैं l “मार्क ट्वेन ने कहा, “आप जानते नहीं कि आपको क्या चाहिए, किन्तु आप उसकी बेहद इच्छा रखते हैं चाहे इसके लिए जान भी चली जाए l”

हमारे हृदय का वास्तविक घर परमेश्वर है l जिस तरह फादर अगस्टीन एक प्रसिद्ध कथन में कहते हैं : “हे प्रभु, आप ने हमें अपने लिए रचा है, और आप में विश्राम पाने तक हमारे हृदय बेचैन रहेंगे l”

और हृदय क्या है? एक गहरा खालीपन जिसे केवल परमेश्वर ही भर सकता है l

कटनी और धन्यवाद

कई हज़ार वर्ष पहले, परमेश्वर ने मूसा से सीधे बातें करके अपने लोगों के लिए एक नए पर्व की स्थापना की l मूसा के लेख अनुसार, निर्गमन 23:16 में, परमेश्वर ने कहा, “जब तेरी  बोई हुयी खेती की पहली उपज तैयार हो, तब कटनी का पर्व मनाना l”

वर्तमान में, संसार के देश कुछ उसी तरह करते हुए देश की बहुतायत का उत्सव मनाते हैं l घाना देश में, लोग याम पर्व को कटनी उत्सव के रूप में मनाते हैं l ब्राज़ील में, डीया डी अकाओ डी ग्रेसास (Dia de Acao de Gracas) फसल के लिए धन्यवादी होने का समय है जिससे उनको भोजन मिला l चीन में, शरद ऋतू के मध्य (Moon) मून पर्व होता है l अमरीका और कनाडा में धन्यवाद पर्व होता है l

किसी कटनी उत्सव का उचित लक्ष्य समझने हेतु, हम जल प्रलय के तुरंत बाद नूह के पास चलें l मूसा ने नूह और उसके परिवार को और हमें भी पृथ्वी पर हमारी खुशहाली के लिए अपना श्रोत याद दिलाता है l पृथ्वी में मौसम, दिन और रात और “बोने और काटने” का समय हमेशा रहेगा (उत्पत्ति 8:22) l हमें पोषण देने वाली कटनी के लिए हमारा धन्यवाद, केवल परमेश्वर को जाता है l

चाहे जहाँ भी आप रहते हों या भूमि की उदारता का उत्सव मानते हैं, समय निकालकर परमेश्वर को धन्यवाद दें-क्योंकि उसकी अद्भुत रचनात्मक बनावट के बगैर हमारे पास उत्सव मनाने के लिए पैदावार न होती l

जयजयकार करें

पिछले दिनों जब मैं निरंतर उपासना में जाने के लिए एक चर्च खोज रही थी, मेरी सहेली ने मुझे अपने चर्च में बुलाया l आराधना अगुओं ने एक गीत के साथ मण्डली की अगवाई की जो ख़ास तौर पर मैं पसंद करती थी l मैंने अपने कॉलेज के संगीत-मण्डली निदेशक के  “खुल कर गाने!” की सलाह याद करते हुए मन से गाया l

गीत के बाद, मेरी सहेली के पति ने मुझ से कहा, “तुमने ऊँची आवाज में गया l” यह टिप्पणी प्रशंसा की नहीं थी! उसके बाद, मैंने खुद जानबूझकर अपने गाने पर ध्यान दिया, और अपने आस-पास के लोगों से धीमे गाया, और विचार करती रही कि कोई मेरे गाने की आलोचना तो नहीं करेगा l

किन्तु एक रविवार, मैंने अपने निकट एक स्त्री को श्रद्धा के साथ बिना किसी संकोच के गाते सुना l उसकी आराधना से मैंने दाऊद के जीवन का उस्ताही, सहज आराधना याद किया l भजन 98 में, वास्तव में, दाऊद सलाह देता है कि “सारी पृथ्वी” “जयजयकार” के साथ आराधना करे (पद.4) l

भजन 98 का पहला पद हमें बताता है कि यह याद करके कि “[परमेश्वर] ने आश्चर्यकर्म किये है” हमें आनंदपूर्वक आराधना करनी चाहिए l पूरे भजन में, दाऊद सभी राष्ट्रों के प्रति उसकी विश्वासयोग्यता और न्याय, करुणा, और उद्धार के इन अद्भुत कामों को याद करता है l परमेश्वर कौन है और उसने क्या किया है में दृढ़ रहना हमारे हृदयों को प्रशसा से भर देता है l

परमेश्वर ने आपके जीवनों में कौन-कौन से “अद्भुत काम” किये हैं? कृतज्ञता परमेश्वर के अद्भुत कार्यों को याद करके उसको धन्यवाद देने का सम्पूर्ण समय है l अपनी आवाज़ ऊंची करें और गाएँ!