पिछले दिनों जब मैं निरंतर उपासना में जाने के लिए एक चर्च खोज रही थी, मेरी सहेली ने मुझे अपने चर्च में बुलाया l आराधना अगुओं ने एक गीत के साथ मण्डली की अगवाई की जो ख़ास तौर पर मैं पसंद करती थी l मैंने अपने कॉलेज के संगीत-मण्डली निदेशक के  “खुल कर गाने!” की सलाह याद करते हुए मन से गाया l

गीत के बाद, मेरी सहेली के पति ने मुझ से कहा, “तुमने ऊँची आवाज में गया l” यह टिप्पणी प्रशंसा की नहीं थी! उसके बाद, मैंने खुद जानबूझकर अपने गाने पर ध्यान दिया, और अपने आस-पास के लोगों से धीमे गाया, और विचार करती रही कि कोई मेरे गाने की आलोचना तो नहीं करेगा l

किन्तु एक रविवार, मैंने अपने निकट एक स्त्री को श्रद्धा के साथ बिना किसी संकोच के गाते सुना l उसकी आराधना से मैंने दाऊद के जीवन का उस्ताही, सहज आराधना याद किया l भजन 98 में, वास्तव में, दाऊद सलाह देता है कि “सारी पृथ्वी” “जयजयकार” के साथ आराधना करे (पद.4) l

भजन 98 का पहला पद हमें बताता है कि यह याद करके कि “[परमेश्वर] ने आश्चर्यकर्म किये है” हमें आनंदपूर्वक आराधना करनी चाहिए l पूरे भजन में, दाऊद सभी राष्ट्रों के प्रति उसकी विश्वासयोग्यता और न्याय, करुणा, और उद्धार के इन अद्भुत कामों को याद करता है l परमेश्वर कौन है और उसने क्या किया है में दृढ़ रहना हमारे हृदयों को प्रशसा से भर देता है l

परमेश्वर ने आपके जीवनों में कौन-कौन से “अद्भुत काम” किये हैं? कृतज्ञता परमेश्वर के अद्भुत कार्यों को याद करके उसको धन्यवाद देने का सम्पूर्ण समय है l अपनी आवाज़ ऊंची करें और गाएँ!