हम दोनों पति पत्नी को पेरिस में लवरे(Louvre) अजायब घर देखने का अवसर मिला l मैंने अपनी ग्यारह वर्षीय पौत्री, एडी को फ़ोन कर उससे डा विन्ची की प्रसिद्ध चित्रकारी मोना लीसा की बात बतायी l एडी ने पूछा, “क्या वह मुस्करा रही है?”
क्या इस चित्र के विषय यह बड़ा प्रश्न नहीं है? लियोनार्डो डा विन्ची के द्वारा बनाए गए इस चित्र के 600 वर्षों बाद भी हम नहीं जानते कि यह स्त्री मुस्करा रही थी या नहीं l इस चित्र की ख़ूबसूरती द्वारा मंत्रमुग्ध होने के बाद भी, हम मोना लीसा के आचरण को नहीं जानते हैं l
“मुस्कराहट” उस चित्रकारी की जिज्ञासा का हिस्सा है l किन्तु फिर भी यह कितना महत्वपूर्ण है? क्या मुस्कराहट कुछ है जिसके विषय बाइबिल बताती है? वास्तव में, यह शब्द वचन में पाँच बार से कम आया है, और ऐसा कुछ नहीं जिसे हमसे करने को कहा गया है l हालाँकि, बाइबिल हमसे मुस्कराने वाला आचरण रखने को कहती है-अर्थात आनंद l हम लगभग 250 बार आनंद के विषय पढ़ते हैं : “मेरा हृदय प्रफुल्लित है,” दाऊद प्रभु के विषय विचार करते हुए कहता है (भजन 28:7) l हमें “यहोवा के कारण जयजयकार करना है” (भजन 33:1); परमेश्वर के नियम “मेरे हृदय के हर्ष का कारण हैं” (119:111); और “हम आनंदित हैं” क्योंकि “यहोवा ने हमारे साथ बड़े बड़े काम किए हैं” (126:3) l
स्पष्ट रूप से, परमेश्वर हमारे लिए सब कुछ करके आनंद देता है जो हमारे चेहरे पर मुस्कराहट लाती है l
हृदय में आशा चेहरे पर मुस्कराहट लाती है l