मेरे पति ने हाल ही में महत्वपूर्ण जन्म-दिन मनाया, ऐसा जो शून्य में समाप्त होता है l इस विशेष मौके पर मैंने उन्हें सर्वोत्तम तरीके से सम्मानित करना चाहा l मैंने इसे सर्वोत्तम बनाने के लिए अपने बच्चों से अपने विचारों को बाँटा और उनसे सहायता मांगी l मेरी इच्छा थी कि हमारा उत्सव एक नए दशक के महत्व को दर्शाए और कि वे हमारे परिवार के लिए कितने विशेष हैं l मेरी इच्छा थी कि हमारा उपहार उनके जीवन के इस महत्वपूर्ण अवसर के महत्व के अनुकूल हो l
राजा सुलैमान एक “बड़े जन्मदिन” के योग्य उपहार से कहीं महान उपहार परमेश्वर को देना चाहता था l वह चाहता था कि उसके द्वारा निर्मित मंदिर उसमें परमेश्वर की उपस्थिति के योग्य हो l कच्चे माल के लिए उसने सोर के राजा को सन्देश भेजा l अपने पत्र में, उसने कहा कि मंदिर विशाल होगा “क्योंकि हमारा परमेश्वर सब देवताओं में महान है” (2 इतिहास 2:5) l उसने माना कि परमेश्वर की विशालता और भलाई मनुष्य के हाथों से निर्मित किसी भी वस्तु से कहीं अधिक महान होने पर भी, कार्य प्रेम और उपासना के कारण ठहराया गया है l
हमारा परमेश्वर वास्तव में दूसरे देवताओं से महान है l वह हमारे जीवनों में अद्भुत कार्य करके, भेंट के भौतिक मूल्य के बावजूद, हमारे हृदयों से प्रेमी और बहुमूल्य भेंट लाने को उत्साहित करता है l सुलैमान जानता था कि उसका भेंट परमेश्वर की तुलना में नहीं हो सकता, फिर भी अपना आनंदपूर्वक भेंट उसके सामने लाया; और हम भी ला सकते हैं l
हमारा प्रेम ही सर्वोत्तम मूल्यवान उपहार है जो हम परमेश्वर को दे सकते हैं l