मेरे पिता तीरंदाजों के लिए तीर रखने हेतु उनकी पसंदीदा तरकश बनाते हैं l असली चमड़े के तरकश को सिलने से पहले वे उस पर विस्तारपूर्वक वन्य-जीव जंतुओं की तस्वीरें खोद कर बनाते हैं l
एक बार मैंने उनको अपनी एक कलाकृति बनाते देखा l उनके सावधान हाथों ने नरम चमड़े पर तेज़ चाकू से ठीक दबाव डालकर विभिन्न आकृतियाँ बनायीं l उसके बाद उन्होंने सुर्ख लाल रंग में कपड़े का एक टुकड़ा डुबोकर चमड़े पर बराबर रेखाएं खींचकर अपनी रचना की खूबसूरती को बढ़ाया l
अपने पिता की विश्वासपूर्ण शिल्पकारिता की प्रशंसा करते हुए, मैंने जाना कि कई बार मैं दूसरों में और खुद में अपने स्वर्गिक पिता की दिखाई देनेवाली रचनात्मकता को निहारने से चूक जाती हूँ l प्रभु की अद्भुत शिल्पकारिता पर विचार करते हुए, मैं राजा दाऊद की समर्थन को याद करती हूँ कि परमेश्वर ने हमारे “आन्तरिक अस्तित्व” को रचता है और कि हम “भयानक और अद्भुत रीति से” रचे गए हैं (भजन 139:13-14) l
हम भरोसे से अपने सृष्टिकर्ता की प्रशंसा कर सकते हैं क्योंकि हम जानते हैं कि उसके कार्य “आश्चर्य के हैं” (पद.14) l और हम अपना और दूसरों का अधिक आदर करने के लिए उत्साहित होंगे, विशेषकर जब हम स्मरण करेंगे कि विश्व का सृष्टिकर्ता हमें पूरी तरह जानता था और हमें “[रचने] से पहले” उसने हमारे सब दिन ठहराए (पद.15-16) l
मेरे पिता के कुशल हाथों द्वारा बनाए गए उस चमड़े के तरकश की तरह, हम सब बस इसलिए सुन्दर और मूल्यवान हैं क्योंकि हम परमेश्वर की सृष्टि में अद्भुत हैं l हममें से हर एक, सोची समझी अद्वितीय और उद्देश्पूर्ण बनावट परमेश्वर की प्रिय सर्वश्रेष्ठ कलाकृति हैं, जो परमेश्वर का वैभव प्रगट करते हैं l
परमेश्वर हर व्यक्ति को विशिष्टता और उद्देश्य के साथ अद्भुत रीति से रचता है l