हमारे पास कई वर्षों तक एक ख़ास जाति की शिकारी कुतिया थी l ये छोटे कुत्ते कठोर होते हैं, और बिज्जू के बिल में घुसकर “शत्रु” से लड़ते हैं l हमारी कुतिया अपनी मूल जाति से अनेक पीढ़ी अलग थी, किन्तु उसमें वह प्रवृति थी, जो अनेक बार प्रजनन करने का परिणाम था l एक बार वह हमारे पिछवाड़े में एक पत्थर के नीचे किसी ‘जंतु” के धुन में लगी रही l कुछ भी उसे रोक न सकता था l उसने चट्टान के नीचे खोद-खोद कर गहरा गड्ढा बना दिया l
अब इस प्रश्न पर ध्यान दें : क्यों हम मनुष्य पाने की कोशिश में लगे रहते हैं? हम उन पर्वतों पर जिस पर कोई चढ़ा न हो क्यों चढ़ते हैं, खड़ी ढाल पर क्यों फिसलना पसंद करते हैं? कठिन और खतरनाक तेज़ दौड़ क्यों दौड़ते हैं, प्रकृति की प्रभाव को चुनौती क्यों देते हैं? उसका एक भाग रोमांच और मौज-मस्ती की इच्छा है, किन्तु यह इससे कहीं अधिक है l यह परमेश्वर की ओर से सहज ज्ञान है जो हम मनुष्यों में है l हम परमेश्वर को खोजे बिना रह नहीं सकते l
जी हाँ, हम वह जानते नहीं हैं l हम केवल जानते हैं कि हम कुछ चाहते हैं l “मार्क ट्वेन ने कहा, “आप जानते नहीं कि आपको क्या चाहिए, किन्तु आप उसकी बेहद इच्छा रखते हैं चाहे इसके लिए जान भी चली जाए l”
हमारे हृदय का वास्तविक घर परमेश्वर है l जिस तरह फादर अगस्टीन एक प्रसिद्ध कथन में कहते हैं : “हे प्रभु, आप ने हमें अपने लिए रचा है, और आप में विश्राम पाने तक हमारे हृदय बेचैन रहेंगे l”
और हृदय क्या है? एक गहरा खालीपन जिसे केवल परमेश्वर ही भर सकता है l
समस्त इच्छाओं के नीचे परमेश्वर के लिए एक गहरी इच्छा है l