बीसवीं शताब्दी के एक सबसे मशहूर ऑर्केस्ट्रा संचालक के रूप में, आरटूरो टॉसकनिनी को इसलिए याद किया जाता है क्योंकि वह उस व्यक्ति को महत्त्व देते थे जो उसके लायक है l डेविड इवन की पुस्तक डिक्टेटर्स ऑफ़ द बैटन, में लेखक वर्णन करता है कि किस तरह न्यू यॉर्क फिलहारमोनिक ऑर्केस्ट्रा के सदस्य बीथहोवेन के नाइन्थ सिम्फनी (एक प्रकार की संगीत रचना) के अभ्यास के अंत में खड़े होकर टॉसकनिनी की प्रशंसा करने लगे l जब सब शांत हो गए, आरटूरो निराश होकर दुःख से बोला : “वो मैं नहीं हूँ … वह बीथहोवेन है! . . . टॉसकनिनी कुछ नहीं है l”
नए नियम में प्रेरित पौलुस अपनी पत्रियों में अपनी आत्मिक अंतर्दृष्टि और प्रभाव के लिए श्रेय लेने से इनकार किया l वह जानता था कि मसीह में विश्वास लानेवाले अनेक लोगों का वह आत्मिक आभिभावक था l उसने स्वीकार किया कि उसने अनेक लोगों के विश्वास, आशा और प्रेम को बढ़ाने के लिए अत्यधिक मेहनत किया था और दुःख उठाया था (1 कुरिं. 15:10) l किन्तु अच्छे विवेक के कारण वह उनकी प्रशंसा अस्वीकार कर रहा था जो उसके विश्वास, प्रेम और अंतर्दृष्टि से प्रभावित थे l
इसलिए अपने पाठकों के लिए और हमारे लिए, पौलुस कहता है, वास्तव में, “भाइयों और बहनों, वह मैं नहीं हूँ, l वह मसीह है . . . पौलुस कुछ भी नहीं है l” हम केवल उसके संदेशवाहक हैं जो हमारी प्रशंसा के योग्य है l
वह व्यक्ति बुद्धिमान है जो सम्मान लेने की बजाए सम्मान देता है l