जब हम अपनी गाड़ी से उत्तरी मिशिगन से होकर जा रहे थे, मारलीन आश्चर्य से बोली, “विश्वास नहीं होता कि संसार इतना बड़ा है!” उसने यह बात तब कही जब हम उस संकेत को पार किये जो भूमध्य रेखा और उत्तरी ध्रुव के बीच है l हम आपस में बातचीत किये कि हम कितने छोटे हैं और हमारा संसार कितना विशाल है l फिर भी, विश्व के आकर से तुलना करने पर, हमारा छोटा गृह धूल का एक कण है l
यदि हमारा संसार बड़ा है, और विश्व उससे भी कहीं बड़ा, इसका बनानेवाला कितना बड़ा होगा जिसने इसे अपनी शक्ति से बनाया? बाइबल हमसे कहती है, “क्योंकि [यीशु में] सारी वस्तुओं की सृष्टि हुई, स्वर्ग की हों अथबा पृथ्वी की, देखी या अनदेखी, क्या सिंहासन, क्या प्रभुताएं, क्या प्रधानताएं, क्या अधिकार, सारी वस्तुएँ उसी के द्वारा और उसी के लिए सृजी गयी हैं” (कुलुस्सियों 1:16)
सुसमाचार यह है कि यही यीशु जो इस विश्व का सृष्टिकर्ता है हमें हमारे पापों से प्रतिदिन और हमेशा के लिए बचाने आया l जिस दिन यीशु मरा उसके पहले वाली रात, यीशु ने कहा, “मैं ने ये बातें तुम से इसलिए कहीं हैं कि तुम्हें मुझ में शांति मिले l संसार में तुम्हें क्लेश होता है, परन्तु ढाढ़स बांधो, मैं ने संसार को जीत लिया है” (यूहन्ना 16:33) l
जीवन की बड़ी और छोटी चुनौतियों का सामना करते हुए, हम संसार के सृष्टिकर्ता को पुकारते हैं जिसने मृत्यु सही और मुर्दों में से जी उठा, और संसार के टूटेपन पर विजयी हुआ l हमारे संघर्ष के समय, वह सामर्थ्य के साथ हमें अपनी शांति देता है l
परमेश्वर का अनुग्रह असीमित, उसकी करुणा अनंत,
और उसकी शांति वर्णन से बाहर है l