पुराने नियम के अंत में, परमेश्वर शांत दिखाई देता है l चार सौ वर्षों तक यहूदी इंतज़ार करते हैं और चकित होते हैं l ऐसा महसूस हो रहा था जैसे परमेश्वर निष्क्रिय, बेखबर, और उनकी प्रार्थनाओं के प्रति अपने कान बंद कर लिये थे l केवल एक आशा बाकी थी : उद्धारकर्ता के आने की प्राचीन प्रतिज्ञा l उसी प्रतिज्ञा पर यहूदी लोग सब कुछ आधारित करते थे l और उसी समय कुछ महत्वपूर्ण बात होती है l एक बालक के जन्म की घोषणा होती है l

आप लूका के सुसमाचार में लोगों के प्रतिउत्तर को पढ़कर उनकी उत्तेजना को महसूस कर सकते हैं l यीशु के जन्म के समय की घटनाएं एक आनंद भरा संगीत सा लगता है l अनेक चरित्र दृश्य में दिखाई देते हैं : एक बूढ़े चाचा (लूका 1:5-25), एक चकित कुवांरी (1:26-38), एक बूढ़ी नबिया, हन्ना (2:36) l मरियम एक सुन्दर गीत गाती है (1:46-55) l यीशु का एक चचेरा भाई जो अभी जन्म नहीं लिया है, अपनी माँ के गर्भ में आनंद से उछल पड़ता है (1:41) l

लूका इन घटनाओं को उद्धारकर्ता के विषय पुराने नियम में लिखी बातों से सीधे जोड़ता है l जिब्राइल स्वर्गदूत यूहन्ना बप्तिस्मा देनेवाले को “एलिय्याह” भी संबोधित करता है जो प्रभु का मार्ग तैयार करने भेजा गया था (1:17) l स्पष्ट रूप से पृथ्वी पर कुछ हो रहा था l रोमी साम्राज्य के एक एकांत गाँव में निराश, पराजित ग्रामीणों के मध्य कुछ अच्छा होने जा रहा है l