अपने कार्यालय की इमारत के पास कंक्रीट स्लैब की दरार में से एक खूबसूरत फूल को पनपते देखकर मैं आश्चर्यचकित था। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद इस नन्हें पौधे को पैर जमाने का स्थान मिल गया था। सूखी दरार में जड़े जमाकर यह फल-फूल रहा था। मैंने देखा कि पौधे के ठीक ऊपर लगे एक एयर कंडीशनिंग यूनिट से पूरे दिन उसपरर पानी गिरता रहता है। विपरीत परिवेश में भी पौधे को उस पानी से वह मदद मिल गई थी जिसकी उसे आवश्यकता थी।
मसीही जीवन में कभी-कभी विकास कठिन लगता है परन्तु जब हम मसीह के साथ दृढ़ता से बने रहेंगे तब बाधाएं पार करना आसन होगा। चाहे हमारी परिस्थितियां प्रतिकूल हों और हम निराश हों तो भी परमेश्वर के साथ अपने संबंध में आगे बढ़ते रहने से हम उस पौधे के समान फलवंत हो सकते हैं। गंभीर कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना होने पर भी प्रेरित पौलुस ने हार नहीं मानी (2 कुरिन्थियों 11:23-27)। “मैं…उस पदार्थ को पकड़ने के लिये दौड़ता हूं…,” उसने लिखा “मैं निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूं, ताकि इनाम पाऊं।” (फिलिप्पियों 3:12,14)
पौलुस ने अनुभव किया कि वह प्रभु में…सब कुछ कर सकते हैं (4:13), हम भी उनकी मदद से दौड़ जारी रख सकते हैं जो हमें सामर्थ देते हैं।
परमेश्वर हमें दृढ़ बने रहने और बढ़ने के लिए आवश्यक सामर्थ्य प्रदान करते हैं।