मैंने अपने पिता के पुराने जूतों को जिन्हें वे घुडसवारी के समय पहनते थे, अपने अध्ययन कक्ष के फर्श पर रखा है, जो मुझे ऱोज याद दिलाते हैं कि वे कैसे व्यक्ति थे।

अन्य कामों के साथ, वह घोड़ों को पालते और उन्हें प्रशिक्षित करते थे। उन्हें काम करते देख मुझे अच्छा लगता और आश्चर्य होता था कि वह कैसे इतना कुछ कर लेते थे। बचपन में, मैं उन्हीं के समान बनना चाहता था। अब मैं अस्सी वर्ष से ऊपर हूँ, और उनके जूते भरने के लिए मेरे पाँव आज भी बहुत छोटे हैं।

अब मेरे पिता स्वर्ग में हैं, परन्तु मुझे एक और पिता का अनुसरण करना है। उनकी भलाई और प्रेम की सुगन्ध से भर कर मैं उनके समान बनना चाहता हूँ। परन्तु भरे जाने के लिए उनके जूते मेरे लिए बहुत बड़े हैं।

प्रेरित पतरस ने यह कहा: “अब परमेश्वर…आप ही तुम्हें सिद्ध और स्थिर और बलवन्त करेगा।” (1 पतरस 5:10)।

हमारी कमियां, हमें हमारे स्वर्गीय पिता के समान बनने से रोकती हैं। इस जीवन में तो हम उनके स्वरूप को इतनी अच्छी तरह से नहीं दिखा पाते, परन्तु स्वर्ग में हमारे पाप और दुःख नहीं रहेंगे और तब हम उनके तेजस्वी रूप को पूर्णतः प्रकट कर सकेंगे! “परमेश्वर का सच्चा अनुग्रह” यही है। (पद 12)