क्लियोपेट्रा, गैलीलियो, शेक्सपियर, एल्विस, पेले। ये सब इतने प्रसिद्ध हैं कि पहचान करने के लिए केवल उनका नाम ही काफ़ी है। जो वो थे और जो उन्होंने किया उसके कारण वे इतिहास में प्रमुख रहे हैं। परन्तु एक और नाम है जो इनसे या किसी अन्य नाम से ऊपर है!
परमेश्वर पुत्र के संसार में जन्म लेने से पहले ही स्वर्गदूत ने मरियम और यूसुफ को उसका नाम यीशु रखने को कहा था “क्योंकि वह अपने लोगों का उनके पापों से उद्धार करेगा”। (मत्ती 1:21) और “वह…परमप्रधान का पुत्र कहलाएगा। (लूका 1:32) यीशु एक प्रसिद्द व्यक्ति के रूप में नहीं बल्कि एक दास के रूप में आए थे जिसने अपने आप को विनम्र किया और क्रूस पर aaअपनी जान दी जिससे जो कोई उन्हें ग्रहण करे वह उसे क्षमा करके पाप के बन्धन से मुक्त कर सकें।
प्रेरित पौलुस ने लिखा, “इस कारण परमेश्वर ने उस को अति महान भी किया, और उस को वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है…”। (फिलिप्पियों 2:9-11)
हमारे सबसे बड़े आनन्द और सबसे बड़ी जरूरत में, जिस नाम में हमें शरण मिलती है, वह नाम यीशु है। वह हमें कभी नहीं छोड़ेगा, और उसका प्रेम कभी ना हारेगा।
यीशु मसीह को महत्व नहीं दिया जाता जब तक वे सबसे महत्वपूर्ण ना हों। अगस्तीन