कई बार फेसबुक मुझे “यादें” दिखाता है-जिन्हें कभी मैंने उस दिन पोस्ट किया था। जहाँ अपने भाई के विवाह की या मेरी दादी के साथ खेलते हुए मेरी बेटी के चित्र, मेरे होठों पर मुस्कुराहट ले आती हैं, वहां कुछ भावुक यादें भी हैं-अपने बहनोई की कीमोथेरेपी पर या मां की ब्रेन सर्जरी के बाद लिखे नोट को पढना। ये परिस्थितियां मुझे परमेश्वर की विश्वासयोग्य उपस्थिति की याद दिलाती हैं और प्रार्थना करने और आभारी होने के लिए बाध्य करती हैं।
परमेश्वर के किए कामों को भूलने की प्रवृति हम सभी में होती है। हमें याद दिलाए जाने की जरूरत होती है। परमेश्वर के लोगों की उनके नए घर ले जाने के लिए जब यहोशू ने अगुवाई की, तब उन्हें यरदन नदी को पार करना पड़ा (यहोशू 3:15-16)। परमेश्वर ने पानी दो भाग… (पद 17)। इस आश्चर्यक्रम का स्मारक बनाने के लिए…(4:3, 6-7)। ताकि जब दूसरे पूछें कि उन पत्थरों का क्या अर्थ है, तो परमेश्वर के लोग उस दिन की कहानी सुनाकर बताएं कि परमेश्वर ने उस दिन क्या किया था।
परमेश्वर की विश्वासयोगिता के भौतिक स्मारक उन पर वर्तमान-और भविष्य के प्रति भरोसा करने की हमें याद दिलाते हैं।