ऑफिस से घर लौटने पर मेरा “अन्य” काम करने का समय हो गया था। मेरी पत्नी और बच्चों के अभिवादन जल्द ही इन अनुरोधों में बदल गए, “डैड, रात के खाने के लिए क्या है”? “डैड, मेरे लिए आप पानी ला देंगे”? “डैड, हम फुटबॉल खेलें”?
मैं कुछ देर सुस्ताना चाहता था। उस समय परिवार की जरूरतों को पूरा करने का मन नहीं था। तभी मैंने एक थैंक-यू कार्ड देखा जो चर्च में मेरी पत्नी को किसी से मिला था। उसमें पानी का एक बर्तन, एक तौलिया, और मैले सैंडल का चित्र बना हुआ था और नीचे लूका 22:27 पद लिखा हुआ था:“मैं तुम्हारे बीच में सेवक की नाईं हूं।”
यीशु खोए हुओं को ढूंढ़ने… (लूका 19:10)। यदि यीशु अपने शिष्यों के लिए ऐसे काम करने को तैयार थे, जो सेवक करते थे-जैसे शिष्यों के पैर धोना जो निसन्देह रूप से मैले रहे होंगे (यूहन्ना 13:1-17)-तो मैं बिना शिकायत अपने बेटे को पानी लाकर दे सकता था। मुझे अहसास हुआ कि अपने परिवारवालों के अनुरोध मानना केवल एक दायित्व ही नहीं हैं लेकिन यीशु का सेवक का दिल और प्रेम दिखाने का अवसर भी हैं। उस व्यक्ति के समान बनने का अवसर जिसने हमारे लिए अपने जीवन को दे दिया और अपने शिष्यों की सेवा की।
हमारे प्रति परमेश्वर का प्रेम हमें दूसरों की सेवा करने का बल देता है।